खेती-बारीनालंदाबिग ब्रेकिंगबिहार शरीफभ्रष्टाचार

भ्रष्टाचारः उर्वरक की कालाबाजारी से किसान त्रस्त, प्रशासन मस्त

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। रबी फसल की बुआई और सिंचाई के इस महत्वपूर्ण मौसम में किसानों को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय मिलीभगत से जिले में डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) और यूरिया जैसे उर्वरक की कालाबाजारी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सरकारी दावा है कि जिले में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि किसान निर्धारित मूल्य से 300-400 रुपए अधिक प्रति बोरा डीएपी खरीदने को लाचार हैं।

बता दें कि सरकार ने डीएपी का मूल्य 1350 रुपये प्रति बैग तय किया है, लेकिन स्थानीय व्यापारी इसे 1700 से 1800 रुपये प्रति बैग की दर से बेच रहे हैं। किसान मजबूर होकर इन बढ़े हुए दामों पर उर्वरक खरीदने को विवश हैं। स्थिति यह है कि दुकानदार पहले स्टॉक की कमी का हवाला देते हैं और बाद में कालाबाजारी कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति, फिर भी कालाबाजारी क्यों? जिला कृषि विभाग के अनुसार जिले में उर्वरकों की उपलब्धता संतोषजनक है। करीब यूरिया: 12084 टन, डीएपी: 1244 टन, एमओपी: 485 टन, एनपीके: 1887 टन, एसएसपी: 3568 टन उपलब्ध बताई जाती है।

इसके बावजूद किसानों को निर्धारित मूल्य पर उर्वरक नहीं मिल पा रहे हैं। यह प्रशासनिक विफलता और बाजार में व्यापारी-प्रशासन की मिलीभगत को उजागर करता है।

वैकल्पिक उर्वरकों का सहाराः डीएपी की बढ़ी कीमतों से परेशान कई किसानों ने एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) और यूरिया का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। हालांकि यह विकल्प न तो उनकी फसल की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है और न ही उपज में वृद्धि की गारंटी देता है।

किसानों की शिकायत और प्रशासन की उदासीनताः कई किसानों ने प्रशासन से कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। हालांकि जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार का कहना है कि किसान 06112-231143 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। जबकि किसानों का आरोप है कि शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

संकट के समय में मदद की बजाय शोषणः एक स्थानीय किसान रामस्वरूप प्रसाद ने बताया कि यह समय उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। बुआई और पटवन के लिए सही समय पर डीएपी मिलना जरूरी है। लेकिन दुकानदार और प्रशासन की मिलीभगत ने उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है। हमारे पास महंगे दाम पर खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कृषि विभाग का दावा तब खोखला साबित होता है, जब वे खुले बाजार में मनमाने दाम पर खरीदारी करने को मजबूर हैं या फिर असमर्थ हैं।

कृषि क्षेत्र में भ्रष्टाचार का नया अध्यायः डीएपी की कालाबाजारी ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि कृषि क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीरता को भी उजागर किया है। प्रशासन और व्यापारियों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है।

सरकार को चाहिए कि वह उर्वरक वितरण प्रणाली की निगरानी बढ़ाए। कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए और दोषी व्यापारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे। किसानों की समस्या का समाधान समय पर नहीं हुआ तो इसका असर सिर्फ उनकी उपज पर नहीं, बल्कि पूरे जिले की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। क्या प्रशासन इस चुनौती से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर किसान इसी तरह शोषित होते रहेंगे? यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button
error: Content is protected !!
The unsolved mysteries of the ancient Nalanda University राजगीर पांडु पोखर एक ऐतिहासिक पर्यटन धरोहर Rajgir Sone Bhandar is the world’s biggest treasure Artificial Intelligence is the changing face of the future
The unsolved mysteries of the ancient Nalanda University राजगीर पांडु पोखर एक ऐतिहासिक पर्यटन धरोहर Rajgir Sone Bhandar is the world’s biggest treasure Artificial Intelligence is the changing face of the future

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker