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School Composite Skill Lab: अब बिहार के सभी स्कूलों में बनाना होगा समग्र कौशल प्रयोगशाला

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। अब बिहार के सभी स्कूलों को समग्र कौशल प्रयोगशाला (कंपोजिट स्किल लैब / School Composite Skill Lab) स्थापित करना होगा। सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों को इसे तैयार करना होगा। बोर्ड से नये सिरे से संबद्धता प्राप्त करने वाले स्कूलों के लिए आवश्यक उपकरणों और मशीनरी के साथ लैब को तैयार करना जरूरी होगा। स्कूलों के लिए इस लैब को बनाना अनिवार्य किया गया है।

हाल ही में हुई बोर्ड की प्रबंध समिति की बैठक में इस मामले पर चर्चा की गयी और यह अनिवार्य किया गया कि बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क स्कूल एजुकेशन (एनसीएफएसइ) की सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी आवश्यक उपकरणों और मशीनरी के साथ एक समग्र कौशल लैब स्थापित करना चाहिए।

स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे कक्षा छठी से बारहवीं के लिए 600 वर्गफुट क्षेत्र का एक समग्र कौशल प्रयोगशाला (लैब) या 400 वर्गफुट क्षेत्र के दो अलग-अलग लैब स्थापित करें। बोर्ड का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क) ने विशेष रूप से कक्षा छठी से दसवीं तक के छात्रों के लिए कौशल शिक्षा को बढ़ाने पर महत्वपूर्ण रूप से ध्यान केंद्रित किया है।

एनसीएफ ने स्कूलों के भीतर अच्छी तरह से सुसज्जित कौशल प्रयोगशालाओं और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की वकालत की है। पहले से संबद्ध स्कूलों को तीन साल के अंदर तैयार करना होगा लैब जबकि बोर्ड से पहले से ही संबद्ध स्कूलों को तीन साल की अवधि के भीतर सभी आवश्यक उपकरणों और मशीनरी के साथ एक समग्र कौशल प्रयोगशाला स्थापित करनी होगी।

सीबीएसइ ने कहा है कि लैब के तैयार होने से छात्रों के बीच उद्यमशीलता क्षमताओं को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। बोर्ड की ओर से देखा गया है कि वर्तमान में कई स्कूलों में प्रभावी व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए आवश्यक सुविधाओं और उपकरणों की कमी है।

सीबीएसइ बोर्ड के अनुसार इन लैब की स्थापना के बारे में अतिरिक्त विवरण, जिसमें कौशल विषयों को पढ़ाने के लिए आवश्यक सामग्री के संबंध में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी किया जायेगा।

वहीं बोर्ड ने स्कूलों को कहा है कि जो पहले से कौशल विषयों की पेशकश कर रहे हैं, वे अधिक कौशल विषयों की पेशकश करके छात्रों को अधिक विकल्प प्रदान करें। वहीं, जो स्कूल अब भी कोई भी कौशल विषय की पेशकश नहीं कर रहे हैं, वे छात्रों को कम से कम एक कौशल विषय का विकल्प दें।

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