नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव (एसीएस) केके पाठक के भगीरथी प्रयास से नालंदा जिले के स्कूलों में शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति और शैक्षणिक वातावरण में काफी सुधार हुआ है। उनके अलावे अन्य विभागीय पदाधिकारियों द्वारा भी शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार और तरक्की के लिए निर्देशों के अनुपालन कराये जा रहे हैं।
आजादी के बाद यह पहला अवसर है कि प्राइवेट स्कूलों की तरह अब सभी सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राएं भी बेंच-डेस्क पर बैठ कर पढ़ाई करने लगे हैं। एसीएस केके पाठक के इस पहल की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। बच्चे भी बेंच डेस्क पा कर बहुत खुश हैं।
प्राइमरी स्कूल के जो बच्चे पहले बोरा, चटाई और दरी पर बैठकर पढ़ाई करते थे। वह अब प्राइवेट स्कूलों की तरह बेंच और डेस्क पर बैठने लगे हैं। स्कूली बच्चे बेंच और डेस्क पर पढ़ाई करने में अच्छा महसूस करने लगे हैं।
लेकिन उपस्कर आपूर्ति को लेकर यहां तरह- तरह की चर्चा हो रही है। स्कूल के बेंच-डेस्क का क्रय हेडमास्टर के द्वारा नहीं किया गया है। बेंच डेस्क की आपूर्ति जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा तय एजेंसी के माध्यम से की गयी है। स्कूलों की माने तो एक बेंच डेस्क की कीमत पांच हजार रुपये हैं। लेकिन मानक और गुणवत्ता से काफी दूर है।
डेस्क में लकड़ी की जगह प्लाई की पट्टी लगाया गया है। प्लाई पर सनमाइका लगाकर खुबसूरत बनाया गया है। डेस्क के नीचे किताब और बैग रखने के लिए जो पटरा लगाया गया है। वह काफी पतला है। उस पर बच्चों को बैग और किताब रखना मुश्किल हो रहा है।
कुल मिलाकर बेंच डेस्क की खरीददारी और आपूर्ति में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं होने की शिकायत है। तय एजेंसी के द्वारा विद्यालयों में बेंच और डेस्क की आपूर्ति की गयी है। लेकिन उसकी गुणवत्ता कमियां ही कमियां हैं।
गुणवत्ता और मानक को ताक पर रखकर विद्यालयों में बेंच आपूर्तिकर्ता एजेंसी के द्वारा विद्यालय के हेडमास्टर से प्रमाणपत्र लिया गया है कि बेंच डेस्क की आपूर्ति सही मानक के अनुसार की गयी है। जबकि हालत उल्टा है। इसका खुलासा अब होने लगा है। बेंच डेस्क की आपूर्ति के बाद विभाग द्वारा आपूर्तिकर्ता एजेंसी को भुगतान कर दिया गया है।
कई स्कूल हेडमास्टर ने बताया कि वह फर्नीचर के एक्सपर्ट नहीं हैं। किस लकड़ी का यह बेंच डेस्क बना हुआ है। यह भी उन्हें जानकारी नहीं है। मानक अनुसार बेंच डेस्क है या नहीं। यह उन्हें शून्य से अधिक जानकारी नहीं है। लोहे के फ्रेम में प्लाई पर सनमाइका लगा डेस्क की आपूर्ति की गयी है। बकौल शिक्षक, घटिया क्वालिटी के कारण आपूर्ति लेने से इन्कार करने पर अधिकारियों डांट खानी पड़ती है।
एक अप्रैल से सभी बच्चे पढ़ने लगे बेंच डेस्क पर लगभग सभी विद्यालयों को मांग के अनुसार 31 मार्च तक बेंच डेस्क की आपूर्ति की गई है। बच्चे स्कूलों में अब भी बेंच डेस्क की आपूर्ति की जा रही है। राशि लैप्स होने की वजह से 31 मार्च तक एजेंसियों को आपूर्ति के एवज में भुगतान कर दिया गया। हालांकि अभी भी कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां बेंच डेस्क की आपूर्ति होनी बाकी है।
बता दें कि एसीएस केके पाठक के आदेश अनुसार एक अप्रैल से यहां के किसी भी स्कूल में बच्चे को फर्श पर बैठकर पढ़ाई नहीं करनी है। इसके लिए करोड़ों रुपये के बेंच डेस्क की खरीदारी 31 मार्च तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
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