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इस्लामपुर में शारदीय नवरात्रि की धूम, निकाली भव्य शोभायात्रा

इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। इस्लामपुर प्रखंड के इचहोस और कटवारसलपुर गांवों में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर ग्रामीणों के उत्साह और श्रद्धा के साथ भव्य आयोजन शुरू हो चुके हैं। दोनों गांवों में 301 कलशों के साथ निकाली गई शोभायात्रा ने न केवल धार्मिक उत्साह को बढ़ाया, बल्कि सामुदायिक एकता और सहभागिता का भी शानदार प्रदर्शन किया।

इचहोस गांव में नवरात्रि के पहले दिन ग्रामीणों ने बुद्धदेवनगर सूर्य सरोवर से पवित्र जल लेकर 301 कलशों के साथ एक भव्य शोभायात्रा निकाली। महिलाओं और पुरुषों ने उत्साह के साथ विभिन्न मार्गों से भ्रमण करते हुए मां जगदंबा महावीर मंदिर पहुंचकर कलश स्थापित किए। इसके बाद मंदिर में विधिवत रूप से कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि की पूजा-अर्चना शुरू हो गई।

ग्रामीणों ने बताया कि यह आयोजन सामुदायिक सहयोग और श्रद्धा का प्रतीक है। इस आयोजन को सफल बनाने में रंजय मालाकार, दीलीप यादव, अरुण कुमार, रमेश यादव, संतोष सिंह, सोनू सिंह, उमेश यादव जैसे ग्रामीणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूजा-अर्चना के दौरान मंदिर परिसर भक्ति भजनों और मंत्रोच्चार से गूंज उठा, जिसने सभी श्रद्धालुओं के मन को आनंदित कर दिया।

वहीं कटवारसलपुर गांव में भी शारदीय नवरात्रि का उत्सव पूरे जोश के साथ शुरू हुआ। ग्रामीणों ने फतुहा त्रिवेणी घाट से गंगाजल लाकर 301 कलशों में भरा और एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया। यह शोभायात्रा पचरुखिया हनुमान मंदिर के पास से शुरू होकर गांव के विभिन्न मार्गों से गुजरती हुई देवी स्थान पर पहुंची, जहां कलश स्थापित किए गए। इसके बाद देवी स्थान पर नवरात्रि की पूजा और पाठ शुरू हो गया।

ग्रामीणों ने बताया कि अष्टमी के दिन 24 घंटे का अखंड कीर्तन आयोजित किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। नवरात्रि के समापन पर भंडारे का आयोजन भी होगा, जो सामुदायिक एकता और भक्ति का प्रतीक होगा। इस आयोजन को सफल बनाने में रंजीत कुमार, सदनलाल सिंहा, नीतीश कुमार, संजीवन कुमार, रंजीत मिस्त्री, दीलीप कुमार, विनय सिंह, संतोष कुमार, अखिलेश चौधरी, मुकेश कुमार सहित कई ग्रामीण सक्रिय रूप से जुटे हैं।

इन दोनों गांवों में शारदीय नवरात्रि का आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामुदायिक सहयोग और एकता का भी प्रतीक है। ग्रामीणों का उत्साह और समर्पण इस बात को दर्शाता है कि परंपराएं और संस्कृति आज भी जीवंत हैं। शोभायात्रा में शामिल महिलाएं और पुरुष, विशेषकर युवा इस आयोजन को और भव्य बनाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

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