शिलापट्ट बना स्मारकः 17 साल बाद भी नींव में नहीं जुड़ी एक भी ईंट !

Stone plaque became memorial: Even after 17 years not a single brick has been laid in the foundation!
Stone plaque became memorial: Even after 17 years not a single brick has been laid in the foundation!

यह मामला न केवल सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की ओर भी इशारा करता है

राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के राजगीर अनुमंडल के गिरियक प्रखंड में स्थित गाजीपुर पंचायत के एक शिलापट्ट ने पिछले 17 वर्षों से लोगों की उम्मीदों को सिर्फ एक सपना बनाकर रख दिया है। यह शिलापट्ट उस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का गवाह है।

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का शिलान्यास 10 जनवरी 2009 को बिहार सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नंदकिशोर यादव (अब बिहार विधानसभा अध्यक्ष) ने बड़े जोश-खरोश के साथ किया था। उस दिन उन्होंने खुद इस शिलापट्ट का अनावरण किया था और स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का भरोसा दिलाया था। लेकिन इसके बाद यह योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई। 17 साल बीत जाने के बावजूद निर्माण स्थल पर एक ईंट तक नहीं जोड़ी गई और यह शिलापट्ट अब महज एक स्मारक बनकर रह गया है।

उस समय शिलान्यास समारोह में स्थानीय विधायक सत्यदेव नारायण आर्य (अब गवर्नर) भी मौजूद थे। लोगों को बताया गया था कि इस स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण पर करीब 98 लाख रुपये खर्च होंगे और यह आसपास के 55 गांवों के लिए वरदान साबित होगा। लेकिन आज स्थिति यह है कि बीमार पड़ने पर स्थानीय लोगों को इलाज के लिए 12 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर विम्स (वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल) जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह स्वास्थ्य केंद्र बन जाता तो उनकी मुश्किलें काफी हद तक कम हो सकती थीं।

इस अधूरे सपने को पूरा करने के लिए पिछले 17 सालों से प्रयासरत सामाजिक कार्यकर्ता रामानुज बताते हैं कि 2009 में शिलान्यास के समय बड़ी-बड़ी बातें कही गई थीं। स्वास्थ्य मंत्री और विधायक ने लोगों को भरोसा दिया था कि जल्द ही स्वास्थ्य सुविधाएं उनके दरवाजे तक पहुंचेंगी। लेकिन इसके बाद कोई जिम्मेदार अधिकारी या नेता इसकी सुध लेने नहीं आया। आज यह शिलापट्ट सिर्फ एक मूक गवाह है, जो सरकारी उदासीनता की कहानी बयां करता है।

स्थानीय लोगों के बीच इस बात को लेकर गहरी नाराजगी है कि इतने वर्षों बाद भी न तो सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने की दिशा में कोई कदम उठाया और न ही इसके लिए कोई जवाबदेही तय की गई। ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में नेता वादे करते हैं। लेकिन हकीकत में कुछ बदलता नहीं। गाजीपुर पंचायत और आसपास के 55 गांवों के लोग आज भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं।

फिलहाल, यह शिलापट्ट गाजीपुर पंचायत में खड़ा होकर सरकारी वादों और हकीकत के बीच के फासले को चुपचाप निहार रहा है। क्या कभी इसकी नींव पर इमारत खड़ी होगी, यह सवाल आज भी अनुत्तरित है।

 

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