बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। चंडी प्रखंड में प्रशासन पूरी तरह थेथर हो चुका है। चंडी सीओ के आंचल में एक महिला का दर्द नहीं झलकता है। वहीं एक धार्मिक स्थल पूरी तरह जुआरियों के अड्डे में तब्दील हो चुका है, लेकिन पुलिस को मोतियाबिंद की बीमारी हो चुकी है।
चंडी में कुछ माह पहले अतिक्रमण हटाने के लिए एक व्यक्ति के अनशन से सीओ और बीडीओ हिल गये थे। लेकिन एक महिला की फरियाद कोई नहीं सुन रहा है।
मीडिया में खबर के बाद भी स्थानीय पुलिस प्रशासन तीन दिन से अनशन पर बैठी हुई है, लेकिन उसकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है। यहां तक कि उसकी सुरक्षा व्यवस्था को भी नजरंदाज कर दिया गया है।
चंडी के नरसंडा की यह महिला अकेले असमाजिक तत्वों से जूझ रही है। इनकी सहायता के नाम पर स्थानीय प्रशासन केवल खानापूर्ति कर रही है। महिला अपने बाल बच्चों और भांजे के साथ अनशन पर हैं। गांव में असमाजिक तत्व कभी भी उनपर हमला कर सकते हैं।
मामला चंडी प्रखंड के नरसंडा का है। जहां राम-जानकी सेवा संस्थान की सचिव अपर्णा बाला अपने पूर्वजों की जमीन पर हरियाली मिशन को उतारना चाहती हैं। लेकिन उनकी राह में उनके ही पड़ोसी और असमाजिक तत्व रोड़ा बना हुआ है।
अपने ही पूर्वजों के बनाएं मंदिर को स्वच्छ बनाए रखने,उसे हरा भरा रूप देने के लिए मजदूर लगाई थी, लेकिन जुआरियों को यह पसंद नहीं आ रहा है कि उनका अड्डा खत्म हो जाएं, इसलिए वे सभी इसका विरोध करते हैं। परिवार को धमकी देते आ रहे हैं। मजदूरों को धमकी देकर भगा देते हैं।
सचिव अपर्णा बाला ने जिले के सभी पदाधिकारियों सहित बिहार के सीएम नीतीश कुमार से गुहार लगाते हुए कहा कि एक ओर जल जीवन हरियाली को सरकार अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर असामाजिक तत्व इस कार्य में विघ्न डाल रहे हैं।
असमाजिक तत्वों की धमकी के बाद भूस्वामी अपर्णा बाला शनिवार से अनशन पर बैठी हुई है। उनका कहना है कि जबतक मंदिर परिसर से अतिक्रमण नहीं हटेगा और परिसर को स्वच्छ नही किया जाएगा, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा। फिलहाल तीसरे दिन उनका अनशन जारी है।
बताया जाता है कि महिला अपर्णा बाला के पूर्वज दर्शन लाल अंग्रेजी शासन काल में पटवारी थे। उनके बेटे और पोते ने 1970 में लगभग पांच कट्ठे की पैतृक जमीन पर एक मंदिर और यज्ञशाला का निर्माण किया था।
अनशन पर बैठी अपर्णा बाला की मां जनक नंदनी सिन्हा ने बताया कि उक्त मंदिर लक्ष्मीजी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां 1830 से ही लक्ष्मीजी की प्रतिमा बैठाई जा रहीं हैं।
ग्राम कचहरी की जमीन पर यज्ञशाला का निर्माण किया गया था। मंदिर और यज्ञशाला से ग्रामीणों को लाभ हो रहा है लेकिन ग्रामीण भी कुछ नहीं बोलते हैं, जिससे उनका हौसला बढ़ा हुआ है।
स्थानीय प्रशासन और जिले के वरीय अधिकारियों को अनशन पर बैठी महिला की सुध लेने की होश नहीं है। उन्होंने कहा कि सीओ हमारी मदद नहीं कर सरकार की पर्यावरण हरियाली मिशन को नष्ट करने पर तुली है।
उन्होंने बताया कि हरियाली मिशन के तहत 19 सितंबर को ही मंदिर परिसर में वृक्षारोपण की घोषणा की थी। उसकी को कार्य रूप देने में लगी थी तभी असमाजिक तत्वों ने बाधा उत्पन्न कर दी। उन्होंने बताया कि इसकी सूचना नालंदा एसपी को भी दी जा चुकी है।
फिलहाल संवेदनहीन हो चुकी पुलिस प्रशासन और अधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ता कोई जीये या मरे। यह नकारा सिस्टम का एक छोटा सा उदाहरण है।
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