चंडी (नालंदा दर्पण)। चंडी प्रखंड के नरसंडा स्थित लक्ष्मीजी मंदिर परिसर का इलाका इन दिनों जुआरियों का अड्डा बना हुआ है। मानो चंडी थानाध्यक्ष ऋतुराज के थानेदारी में जुआरियों की ऋतु चल रही है।
कहने को चंडी पुलिस चाक चौबंद व्यवस्था की बात करती है। लेकिन क्षेत्र में असमाजिक तत्वों का जमकर बोल बाला है। जुआरियों-शराबियों के गिरफ्त में पूरा इलाका दिख रहा है।
इन्हीं जुआरियों के आतंक से जूझ रही एक समाजसेवी महिला अर्पणा बाला और उनका पूरा परिवार। सिर्फ वो ही नहीं बल्कि गांव में भी जुआरियों की धमक है।
लोगों ने बताया कि जुआरियों का आतंक दिन में ही नहीं, बल्कि रात भर चलता है। दीपावली को लेकर जुआरियों की हलचल ज्यादा बढ़ गई है।
नरसंडा बाजार में आएं दिन छोटी-बड़ी चोरियां होती है जिसमें जुआरियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है।
नरसंडा के लक्ष्मीजी मंदिर परिसर और उसके आसपास जुआरियों के कोलाहल से लोग परेशान है। उनके हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें पुलिस की छापामारी का भी डर नहीं है। जुआरियों को लेकर गांव में हमेशा लड़ाई झगड़े होते रहता है।
नरसंडा बाजार बाहर से जितना शांत दिखता है, उतना अंदर से है नहीं। संभ्रांत महिलाओं को घर से निकलना दुश्वार हो जाता है।
नरसंडा के दर्शन लाल की अंग्रेजी शासन काल में चंडी इलाके में कभी तूती बोलती थी। 1830 ईस्वी के आसपास वे क्षेत्र के पटवारी थे। उनके ही वंशज के लोगों ने यज्ञशाला का निर्माण किया था। जो आज जुआरियों का अड्डा बना हुआ है। जिनसे उन सब का जीना हराम हो गया है। घर से बाहर निकलना दुश्वार है।
एक समय चंडी पुलिस दीपावली के मौके पर पहले से ही जुआरियों की कमर तोड़ने के लिए छापेमारी अभियान चलाती थी। लेकिन इस थाना क्षेत्र में अब वह परंपरा भी समाप्त हो चुकी है।
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