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बीएलओ की महिमा से नालंदा में इस बार लोग स्वर्ग से भी डालेंगे वोट

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण डेस्क)। यदि आप जागरूक नागरिक है और भविष्य में परेशानियों से बचना चाहते हैं तो खूद के वोटर लिस्ट के नाम, घर नंबर, पिता आदि की सही-गलत जांच कर लीजिए। क्योंकि प्रशासनिक सिस्टम विश्वनीय नहीं रह गयी हैं।

लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर 22 जनवरी को मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गयी है, लेकिन इसमें काफी गड़बड़ियां हैं। मृतक और गांव छोड़ने वाले लोगों का भी वोटर लिस्ट में नाम अंकित हैं।

उदाहरण के अनुसार बेन प्रखंड अंतर्गत एकसारा पंचायत के मरसुआ गांव निवासी मुस्लिम वोटर मो. अमीन उद्दीन के पिता का नाम बुलक महतो लिखकर सूची जारी कर दिया गया है। बैंक खाता, ड्राइवरी लाइसेंस से लेकर सरकारी और नौकरी में वोटर कार्ड पहचान पत्र के रूप में मान्य होता है। इसलिए चुनाव के समय आम दिनों में भी वोटर कार्ड में नाम, पता, पिता, मकान नंबर का सही होना जरूरी हैं।

बेन प्रखंड अंतर्गत एकसारा पंचायत के मरसुआ में ही मतदाता सूची में मो. अमीन उद्दीन, बालेश्वर महतो और मथुरा मोची अलग-अलग परिवार के लोगों का एक मकान नंबर 26 अंकित कर दिया गया हैं। मतदाता सूची में उम्र और नाम में गड़बड़ियां तो आम हो गयी हैं।

एकसारा पंचायत के ही मतदाता केंद्र संख्या-53 बभिनयावां सूची में भी काफी गड़बड़ियां हैं। वोटर लिस्ट के क्रम संख्या 87, 70, 143, 179, 284, 323, 317 में मृत व्यक्तियों का भी नाम अंकित हैं।

इतना ही नहीं कई वर्षों पहले इस गांव से पलायन कर चुके लोग उरवन खातून, इसुन मियां, उमेश प्रसाद आदि का भी नाम मतदाता सूची में हैं। यह सिर्फ कुछ उदाहरण हैं। कमोबेश सभी क्षेत्र के वोटर लिस्ट में इस प्रकार की गड़बड़ियां हैं। मृतक और मकान नंबर, उम्र की त्रुटियों की तो भरमार हैं।

सच्चाई यह है कि अधिकांश बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) द्वारा बैगर भौतिक सत्यापन के ही पुराने मतदाता सूची में ही उलट फेरकर नवीकरण के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है।

1950 ट्रॉल फ्री नंबर से जानकारी: अपने क्षेत्र से संबंधित खुद की मतदाता सूची से संबंधित पूरी जानकारी ट्रॉल फ्री नवंबर 1950 पर कॉल कर प्राप्त किया जा जा सकता हैं। इस नंबर पर आपकी सारी बातचीत की रिकॉडिंग भी होती हैं। साथ ही आपके क्षेत्र से संबंधित कोई भी गलत संबंधित शिकायत भी इस नंबर पर दर्ज करायी जा सकती है।

मतदाता के पूर्व बूथ संख्या और नये बूथ संख्या की वास्तविक स्थिति भी 1950 पर फोन पर जाना जा सकता है। वोटर लिस्ट में नाम हटवाने और त्रुटियों में सुधारवाने में आमलोगों की तो रुचि नहीं है, लेकिन विभाग भी इस मामले में गंभीर नहीं हैं। क्योंकि मतदाता सूची पत्र के साथ संबंधित आवेदन फॉर्म ऑनलाइन और ऑफलाइन जमा करना होता है।

फिलहाल 22 जनवरी को लोकसभा को लेकर मतदाता फाइनल सूची जारी हो गया है। अब छह मई तक ऑनलाइन नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा सके हैं, लेकिन सुधार और नाम हटाने की प्रक्रिया नहीं हो सकता है। नये युवक अपना नाम ऑन लाइन और ऑफ लाइन जमा करना होता है।

वहीं प्रखंड से लेकर जिलास्तीय कर्मियों और पदाधिकारी भी बीएलओ के द्वारा वोटर लिस्ट के सूची को पूर्व में जारी लिस्ट से मिलान करना भी उचित नहीं समझते हैं। जिसमें उम्र और स्थानीय पता के साक्ष्य के लिए प्रमाण पत्र अंकित कर दिया जाता हैं। जिसके आधार पर मतदाता सूची में नाम शामिल हो जाता है।

वहीं मृत व्यक्तियों के परिजन अपने वोटर लिस्ट से नाम हटवाने की पहल नहीं करते हैं। दूसरी ओर आवेदन के भौतिक सत्यापन या सही-गलत की जानकारी जुटाये बिना ही बीएलओ मतदाता सूची तैयार कर वरीय यहीं कारण है कि मृत को जीवित और 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले को 35 वर्ष का मतदाता सूची में अंकित कर दिया गया हैं।

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