
राजगीर (नालंदा दर्पण)। मगध सम्राज्य की राजधानी राजगृह यानि राजगीर की पुण्यभूमि एक बार फिर ऐतिहासिक बनने जा रही है। वर्ष 2026 में 17 मई से 15 जून तक आयोजित होने वाला राजकीय मलमास मेला इस बार सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि महाकुंभ जैसी भव्यता और भक्ति का प्रतीक बनने जा रहा है। बिहार सरकार, संत समाज और स्थानीय प्रशासन ने इस आयोजन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की व्यापक रणनीति बनाई है।
इस मेला को प्रयागराज, उज्जैन और नासिक के महाकुंभों की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है राजगृह के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित करना।
प्रयागराज के जगद्गुरु विश्वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज जी महाराज और महामण्डलेश्वर स्वामी विवेक मुनि महाराज ने बताया कि राजगृह की भूमि केवल बिहार नहीं, बल्कि पूरे भारत की आध्यात्मिक धरोहर है। यह श्रीराम, श्रीकृष्ण, भगवान बुद्ध और तीर्थंकर महावीर की तपोभूमि रही है। ऐसी दिव्य भूमि पर आयोजित मलमास मेला करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा होता है।
इस मेला की मुख्य विशेषता उत्तर और दक्षिण भारत के प्रमुख अखाड़ों, साधु-संतों और महामंडलेश्वरों की अगुवाई में शाही स्नान का आयोजन होगा। यह पूरे मेले का केंद्रबिंदु रहेगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाएंगे।
वहीं इतिहास में पहली बार इस मेले में नागा साधुओं को आमंत्रित किया जाएगा। इससे मेले की आध्यात्मिक गरिमा और आकर्षण और अधिक बढ़ेगा। विभिन्न अखाड़ों और मठों के संतों की शोभायात्राएं, शास्त्रार्थ, व्याख्यान और धर्म संसद में सनातन धर्म के समकालीन मुद्दों पर चर्चा होगी।
वहीं भारत की विविध लोक संस्कृतियों, नृत्य-नाट्य, संगीत और नाटक के माध्यम से एक भारत-श्रेष्ठ भारत की छवि उकेरी जाएगी। मल्टीलिंगुअल सूचना बोर्ड, विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष गाइड, वेबसाइट और सोशल मीडिया अभियान के जरिये इस मेले को वैश्विक ब्रांडिंग दी जा रही है।
इस महाकुंभ में सुविधाएं और व्यवस्थाएं का खास ख्याल रखा जागा। मेले में लाखों श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को देखते हुए विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती, CCTV निगरानी और ट्रैफिक कंट्रोल की व्यापक व्यवस्था की जा रही है।
मेले परिसर में अस्थायी अस्पताल, एम्बुलेंस सेवा, दवाएं और डॉक्टरों की टीम 24 घंटे तैनात रहेगी। श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाओं, टेंट सिटी और होटल बुकिंग की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।
वहीं ऑनलाइन जानकारी, मोबाइल ऐप, QR कोड स्कैनिंग, वर्चुअल गाइड जैसी डिजिटल सेवाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को सहज अनुभव देने की तैयारी है।
आयोजकों की मानें तो इस बार राजगृह का मलमास मेला पहले से ही विश्व का सबसे प्राचीन अंतरालिक मेला माना जाता है, जो हर तीन वर्षों पर आयोजित होता है। अब इसे एक सुनियोजित और आधुनिक स्वरूप देकर भारत के धार्मिक मानचित्र पर और अधिक उभारने की तैयारी है।