अन्य
    Monday, December 23, 2024
    अन्य

      राजगीर कार्यपालक पदाधिकारी के इस आनन-फानन के क्या है मायने

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर नगर पंचायत को लेकर एक बड़ी रोचक कार्यशैली सामने आई है।

      कार्यपालक पदाधिकारी प्रथमा पुष्पाकंर की लिखित शिकायत पर राजगीर थाना में भादवी की धारा-420/379/120(B)/34 के तहत 4 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई है।2

      नामजद आरोपियों में निम्नवर्गीय लिपिक रवि कुमार, प्रभारी प्रधान सहायक अशोक कुमार प्रसाद, कनीय अभियंता कुमार आनंद शामिल हैं।

      कार्यपालक पदाधिकारी ने अपने आवेदन में राजगीर थानाध्यक्ष को सीएम सात निश्चय योजना से नगर पंचायत राजगीर के वंचित नागरिकों का लाभ रहने के कारण उपरोक्त कर्मी के प्राप्त स्पष्टीकरण के आलोक में अपने स्तर से जांच कर प्राथमिकी दर्ज करने की कृपा करने को लिखा है।

      कार्यपालक पदाधिकारी ने यह भी लिखा है कि नगर पंचायत राजगीर के अंतर्गत मुख्यमंत्री निश्चय योजना के निविदा संख्या- 04/2019-20 एवं 05/2019-20 के प्राक्कलन तैयार करने के उपरांत निविदा का प्रकाशन किया गया है।

      परंतु निविदा डाउनलोड के समय प्राक्कलन की जजरुरत पड़ता है। जिसके क्रम में संबंधित कर्मियों से प्राक्कलन की मांग किया गया तो उनके द्वारा प्राक्कलन की प्रतिलिपि नहीं उपलब्ध कराने के क्रम में अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय ज्ञापांक-3215 दिनांकः 20.11.2019 से स्पष्टीकरण पत्र निर्गत किया गया।

      उपरोक्त कर्मियों के द्वारा प्राप्त स्पष्टीकरण के विषयांकित वस्तुस्थिति बताया गया कि कार्यालय से प्राक्कलन गुम हो गया है।1

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क की टीम के पास उपलब्ध साक्ष्य के आलोक में कार्यपालक पदाधिकारी अपने ही जाल में फंसती नजर आ रही है।

      क्योंकि दिनांकः 20.11.2019 को ही कनीय अभियंता कुमार आनंद द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी को सौंपे स्पष्टीकरण सब कुछ संदिग्ध कर जाती है।

      कनीय अभियंता ने अपने स्पष्टीकरण में लिखा है कि नगर पंचायत द्वारा प्रकाशित निविदा संख्या- 04/2019-20 एवं 05/2019-20 का प्रक्कलन मेरे द्वारा तैयार किया गया है, जिसकी तकनीकी स्वीकृति कार्यपालक अभियंता डूडा (बिहार शरीफ) द्वारा मेरे कक्ष में बैठ कर दी गई है।

      दिनांकः 17.11.2018 को तकनीकी स्वीकृति के तुरंत बाद प्राक्कलन निम्न वर्गीय लिपिक रवि कुमार को प्राप्त हो गई। क्योंकि उक्त योजनाओं का कस्टोडियन तकनीकी स्वीकृति के उपरांत प्रधान सहायक या योजना से संबंधित कर्मचारी होते हैं।

      कनीय अभियंता ने आगे लिखा है कि जब तक प्रक्कलन में तकनीकी स्वीकृति प्रदान नहीं होती, तब तक ही प्राक्कलन अभियंता के पास रहता है। प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति के उपरांत प्राक्कलन संचिका बद्ध होकर योजना से संबंधी  कर्मचारी उसके कस्टोडियन होते हैं।

      अब सबाल उठता है कि राजगीर नगर पंचायत को कौन चला रहा है। कार्यपालक पदाधिकारी व्यवहारिक तौर पर इतने तो अनभिज्ञ नहीं होंगी कि उन्हें प्राक्कलन और संचिका तथा उसके कस्टोडियन की भी जानकारी भी न हो?

      जाहिर तौर पर 20 नवंबर को स्पस्टीकरण मांगा जाना, 20 नवबंर को स्पष्टीकरण मिल जाना और 20 नवंबर को ही थाना में लिखित शिकायत हो जाना एक बड़ा खेल लगता है।

       

      पानी गर्म करने के दौरान रसोई गैस की चपेट में झुलसकर महिला की मौत

      सीएम नीतीश आज राजगीर से करेंगे ‘हर घर गंगाजल’ का शुभारंभ

      बिहार शरीफ और हिलसा कोर्ट परिसर में यूं पढ़ी गई भारतीय संविधान की प्रस्तावना

      नगरनौसा थानाध्यक्ष ने संविधान दिवस पर पुलिस साथियों को दिलाई शपथ

      नगरनौसा में किसानों ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पुतले फूंके

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!