नालंदा दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। आगामी 30 जून तक लंबी छुट्टी पर गए बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का तबादला भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग में किए जाने के कई संभावित कारण हो सकते हैं। हो सकता है कि सरकार उनके प्रशासनिक कौशल और अनुभव का उपयोग भूमि सुधार और राजस्व विभाग में करना चाहती है।
यह भी हो सकता है कि भूमि सुधार और राजस्व विभाग में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ और सुधार कार्यक्रम चल रहे हैं, जिनमें एक सशक्त और सक्षम नेतृत्व की आवश्यकता है। केके पाठक के प्रशासनिक अनुभव और उनकी कार्यशैली को ध्यान में रखते हुए, यह तर्कसंगत निर्णय प्रतीत होता है।
अलावे यह स्थानांतरण एक रणनीतिक कदम भी हो सकता है। संभव है कि केके पाठक की कार्यशैली और उनके द्वारा अपनाई गई नीतियों से कुछ विवाद उत्पन्न हुए हों, जिसके कारण उनका तबादला आवश्यक समझा गया हो।
बात कुछ भी हो, बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग में स्थानांतरण शिक्षकों के लिए खुशी का विषय बन गया है। इसका प्रकटीकरण आप सोशल साइट पर देख सकते हैं। एक्स पर तो बाकायदा ट्रेंड तक चलाया जा रहा है।
उनके सख्त नीतियों के कारण शिक्षकों में असंतोष था। अब शिक्षक नए अधिकारी से बेहतर परिस्थितियों और समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं। अहम सवाल कि बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का स्थानांतरण: शिक्षक खुश क्यों हैं?
सच पुछिए तो बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग में स्थानांतरण होने पर सरकारी स्कूलों के शिक्षक काफी खुश नजर आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण उनका सर्वाधिक चर्चित कार्यकाल है।
शिक्षकों का मानना है कि पाठक ने अपने कार्यकाल में शिक्षा विभाग में कई ऐसे फैसले लिए जो शिक्षकों के हित में नहीं थे। उनके द्वारा लागू की गई सख्त नीतियों के कारण कई शिक्षकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
केके पाठक ने शिक्षा विभाग में अनुशासन और पारदर्शिता लाने के लिए कई सख्त कदम उठाए थे। कई शिक्षकों को समय पर स्कूल न पहुंचने, अनियमितता और अन्य कारणों से दंडित किया गया। उनकी नीतियों के कारण शिक्षकों में असंतोष फैल गया था।
लेकिन शिक्षकों के अनुसार पाठक के आदेश से काम का बोझ इतना अधिक था कि वे शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे थे। कई शिक्षकों ने इस बात पर जोर दिया कि पाठक के कार्यकाल में शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों में भी शामिल किया गया, जिससे उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियों को निभाना मुश्किल हो गया। उनके कार्यकाल में शिक्षकों की समस्याओं को सुनने और समझने में कमी महसूस हुई।
अब शिक्षकों को उम्मीद है कि डॉ. एस सिद्धार्थ सरीके नए अपर मुख्य सचिव के कार्यकाल में उनके लिए परिस्थितियाँ बेहतर होंगी। उन्हें उम्मीद है कि नए अधिकारी शिक्षकों की समस्याओं को सुनेगा और उन्हें उचित समाधान प्रदान करेगा।
कुल मिलाकर, केके पाठक का भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग में स्थानांतरण शिक्षकों के लिए बड़ी राहत की खबर मान रहें है। वे अब उम्मीद कर रहे हैं कि शिक्षा विभाग में उन्हें अधिक समर्थन और सहयोग मिलेगा। हालांकि नए अपर मुख्य सचिव का रुख को भांपना उनके लिए अभी काफी मुश्किल है।
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