बेन (रामावतार)। मोबाइल पहले लोगों की जरूरत थी और अब आदत बन गई है। मोबाइल से लोगों के जीवन में अमूलचूल परिवर्तन तो आया, विकास की गति को भी पंख लगे। लेकिन फायदों के साथ ही हर पल मोबाइल में डूबे लोगों के लिए यह उतना हीं हानिकारक भी हो गया है।
सुबह उठते हीं लोग मोबाइल पर फेसबुक व व्हाट्सएप पर लग जाते हैं और यह सिलसिला लम्बे समय तक चलता रहता है। आज के दिनों में मोबाइल का दखल हमारे जीवन में काफी बढ़ गया है।
बूढ़े, जवान, युवा-युवतियाँ, महिलाएं क्या छोटे छोटे बच्चे भी आज एंड्रॉयड मोबाइल में खोने लगे हैं। बच्चों का बचपन भी खिलौने के बीच न होकर आज मोबाइलमय हो गया है तथा बच्चों का बचपन भी मोबाइल में खोता जा रहा है।
मोबाइल का युवा पीढ़ी के जीवन में बढ़ते दखल को देखकर बुद्धिजीवी वर्ग खासा चिंतित नजर आ रहे हैं। शासन को भी इस ओर गंभीरता दिखानी चाहिए।
यहाँ तक कि घर में एकसाथ बैठे युवा-युवतियाँ आपस में बातचीत करने के बजाय मोबाइल में मशगूल देखे जाते हैं। जिससे लोगों के बीच तनाव के साथ साथ दूरियाँ भी बढ़ती जा रही है। और लोगों का जीवन एकाकीपन होता जा रहा है।
आज के दिनों में युवा पीढ़ी अपना अधिक समय मोबाइल के पीछे नष्ट कर रहे हैं। जो उचित नहीं है। भावी पीढ़ी को मोबाइल से होने वाले नुकसान के बारे में शासन को जागरूक किया जाना चाहिए।
कई बुद्धिजीवियों ने कहा कि युवाओं में मोबाइल का क्रेज बढ़ा है या यूं कहें कि आदत लग गई है। लोग घंटों घंटों अपना जीवन मोबाइल पर व्यर्थ नष्ट कर दे रहे हैं। बुद्धिजीवियों ने कहा कि बच्चों व युवा-युवती पीढ़ी को रचनात्मक कार्यों की तरफ प्रेरित किया जाना चाहिए।