एकंगरसराय (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले में स्थित ऐतिहासिक धार्मिक स्थल औंगारी धाम अपनी महिमा और सूर्य उपासना के लिए प्रसिद्ध है। यह पवित्र धाम द्वापरयुग से ही श्रद्धालुओं के लिए सूर्य आराधना का प्रमुख केंद्र रहा है। हर वर्ष कार्तिक और चैती छठ के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जो इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाता है।
यहां की विशेषता केवल प्रखंड, जिला या राज्य तक सीमित नहीं है। नेपाल देश समेत अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पवित्र स्थल की ओर आकर्षित होते हैं। औंगारी धाम का सूर्य तालाब इसका प्रमुख आकर्षण है। यहां पवित्र स्नान के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है। विशेष रूप से कुष्ठ रोगियों के लिए यह स्थान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
औंगारी धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष रामभूषण दयाल के नेतृत्व में छठ पर्व के अवसर पर व्रतियों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। व्रतियों के लिए शौचालय, चेंजिंग रूम और मुफ्त आवास जैसी सुविधाओं का प्रबंध ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। इन सेवाओं को संचालित करने में स्थानीय ग्रामीणों, स्वयंसेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
आने वाले कार्तिक छठ के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। प्रखंड और जिला प्रशासन ने सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की है। साथ ही तालाब की सफाई और सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं।
श्रद्धालुओं का मानना है कि औंगारी धाम का यह सूर्य मंदिर भारत के 12 सूर्य मंदिरों में से एक है, जिसका दरवाजा पश्चिम की ओर खुलता है। इस मंदिर की अपनी अनोखी महिमा है और यहां पूजा करने से निर्धन को धन और निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की काले अष्टधातु की प्रतिमा विराजमान है, जो इसे और अधिक विशिष्ट बनाती है।
धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से यह माना जाता है कि द्वापरयुग में राजा शाम्ब, जो सूर्य देव के पौत्र थे। उन्होंने कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए यहां तालाब और मंदिर का निर्माण कराया था। तब से यह स्थल कुष्ठ रोगियों के लिए एक आस्था का केंद्र बन गया है।
औंगारी धाम ट्रस्ट के निरंतर प्रयासों से पिछले कुछ वर्षों में इस धार्मिक नगरी का उल्लेखनीय विकास हुआ है। यहां छठ पर्व के दौरान व्रतियों के लिए फल, नारियल आदि का भी वितरण किया जाता है।
सूर्य उपासना और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा यह स्थल आस्था और श्रद्धा का जीवंत प्रतीक है, जो द्वापरयुग से लेकर आज तक अनगिनत श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
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