बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में बढ़ती गर्मी और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में अब अंडा की जगह सत्तू देने का निर्णय लिया गया है। समाज कल्याण विभाग ने यह फैसला गर्मी के मौसम और बर्ड फ्लू से संबंधित खबरों को देखते हुए लिया है। ताकि बच्चों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे और उनकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी हो सकें। इसके साथ ही बच्चों के आहार में नींबू, अचार और मौसमी फलों जैसे तरबूज, खीरा, ककड़ी और खरबूज को शामिल करने का भी निर्देश जारी किया गया है।
विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों को साफ तौर पर कहा है कि नाश्ते में बच्चों को रोजाना केला, पपीता, संतरा, तरबूज, खीरा और ककड़ी जैसे मौसमी फलों की मात्रा बढ़ाई जाए। इसके अलावा भोजन के दौरान नींबू और बच्चों के पोषण के लिए उपयुक्त अचार भी परोसा जाएगा।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये निर्देश ठीक से लागू हों, इसके लिए सेविका और सहायिकाओं को पोषाहार वितरण से पहले दी गई सामग्री का वीडियो बनाकर विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया गया है। साथ ही बच्चों के पोषाहार लेते समय सेविका के साथ उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी अनिवार्य की गई है।
गर्मी के मौसम को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने या उनकी समय-सारिणी में बदलाव करने का फैसला संबंधित जिले के जिलाधिकारी (डीएम) पर छोड़ा गया है। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी स्थिति में बच्चों को रोजाना पोषाहार मिलना सुनिश्चित करना होगा।
विभाग का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़ा एक भी लाभार्थी पोषाहार से वंचित नहीं होना चाहिए। अगर केंद्र बंद होते हैं, तो बच्चों को बुलाकर केवल पोषाहार वितरित किया जाएगा। यदि यह भी संभव न हो तो लाभार्थियों के घरों तक गर्म भोजन पहुंचाया जाएगा। जिसकी निगरानी लेडी सुपरवाइजर (एलएस) और चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर (सीडीपीओ) करेंगे।
इस नए बदलाव का उद्देश्य बच्चों को गर्मी के मौसम में स्वस्थ और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है। अधिकारियों को इसकी पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ताकि व्यवस्था में कोई कमी न रहे। यह कदम न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है, बल्कि मौसमी परिस्थितियों के अनुकूल पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास है।
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