अन्य
    Thursday, November 21, 2024
    अन्य

      स्कूलों की न्यू टाइमिंग पर बिहार शिक्षा विभाग ने की बड़ी ट्वीट

      नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश पर सरकारी स्कूलों के लिए जारी नई समय सारणी को लेकर मचे बवाल के बीच Education Department, Bihar ने अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर एक बड़ी सूचना पोस्ट की है।

      उस पोस्ट के जरिए बिहार शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्रति दिन शिक्षकों के लिए कार्य अवधि 7.5 घंटे निर्धारित है। जिसमें इसमें पठन-पाठन की तैयारी की अवधि निहित हैं।

      अब सवाल उठता है कि आखिर निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009  शिक्षकों के लिए क्या निर्धारित करता है। आइए हम उसे समझने का प्रयास करते हैं।

      दरअसल, निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत शिक्षकों की कार्य अवधि से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान निम्नलिखित हैं:

      शिक्षक कार्य अवधि: अध्याय IV, धारा 24 के अनुसार, राज्य सरकार या उचित प्राधिकरण द्वारा निर्धारित कार्य अवधि के अनुसार शिक्षक काम करेंगे। इसमें शिक्षण कार्य के अलावा अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियों का भी समावेश हो सकता है।

      सिखाने का समय: अधिनियम के अनुसार, प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों को न्यूनतम 45 घंटे प्रति सप्ताह (शिक्षण और तैयारी सहित) काम करना होगा। उच्च प्राथमिक स्तर पर, शिक्षकों को न्यूनतम 30 घंटे प्रतिवर्ष शिक्षण कार्य करना होगा।

      कार्यक्रम और कार्यभार: अध्यापन के अलावा अतिरिक्त जिम्मेदारियां: अध्यापक की सामान्य शिक्षण जिम्मेदारियों के अलावा, उन्हें चुनाव ड्यूटी, जनगणना, और आपदा राहत जैसे गैर-शिक्षण कार्य भी सौंपे जा सकते हैं, लेकिन ये कार्य सीमित समयावधि के लिए होंगे और शिक्षण कार्य में बाधा नहीं डालेंगे।

      शिक्षण सामग्री की तैयारी: शिक्षकों को शिक्षण सामग्री की तैयारी के लिए भी समय आवंटित किया जाएगा।

      परीक्षा संबंधी कार्य: परीक्षा के संचालन और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन जैसे कार्यों का भी शिक्षकों के कार्य में समावेश किया जाएगा।

      विषयों की संख्या: एक शिक्षक पर अधिकतम विषयों की संख्या सीमित की जानी चाहिए ताकि वे प्रभावी रूप से शिक्षण कर सकें और छात्रों की प्रगति का उचित मूल्यांकन कर सकें।

      अवकाश: शिक्षकों को सालाना अवकाश और अन्य अनुमन्य छुट्टियों का भी लाभ मिलेगा, जिसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

      प्रशिक्षण और कार्यशालाएं: शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जिनमें उन्हें भाग लेना अनिवार्य होगा। इस दौरान उन्हें शिक्षण कार्य से मुक्त रखा जाएगा।

      इन प्रावधानों का उद्देश्य शिक्षकों को एक उचित कार्य वातावरण प्रदान करना है, जिससे वे अपनी शिक्षण क्षमताओं का पूर्ण उपयोग कर सकें और छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर सकें।

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!