बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। Bihar Sharif Government Bus Stand: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा मुख्यालय बिहार शरीफ नगर के बीच पटना-रांची रोड किनारे अवस्थित करीब छह एकड़ के बड़े भू-भाग में सरकारी बस डीपो बना हुआ है।कभी यह बस स्टैंड उत्तरी बिहार और दक्षिणी बिहार (अब झारखंड) का शान हुआ करता था।
कभी सत्तर की दशक में बिहार राज्य पथ परिवहन विभाग का यह बस स्टैंड उत्तरी बिहार और दक्षिण बिहार की यात्रा करने वाले लोगों के लिए काफी अहम था। उस वक्त गांधी सेतु पुल का निर्माण नहीं हुआ था। इसलिए लोग बिहार शरीफ सरकारी बस स्टैंड से बस पर सवार होकर मोकामा के रास्ते गंगा के उस पार जा पाते थे, लेकिन 1972 में गांधी सेतु पुल के निर्माण के बाद इस स्टैंड का महत्व धीरे-धीरे समाप्त होते चला गया।
फिर उपेक्षा तथा सरकारी अनदेखी से इसके विशालकाय इमारत ढहने लगी। अब इसकी स्थिति ऐसी हो गयी है कि इस बस स्टैंड में आना मौत को दावत देने के समान हो गया है। नब्बे के दशक तक पूरे राज्य परिवहन विभाग की हालत ही खराब हो गयी। कर्मचारियों के वेतन तक जुटाना मुश्किल हो गया। धीरे-धीरे कर अधिकांश सरकारी बस बंद हो गए।
एक समय तत्कालीन डीएम संजय अग्रवाल ने बस स्टैंड की तकदीर बदलने पर बल दिया, लेकिन योजना कागज से धरातल पर उतरते-उतरते उस समय के डीएम संजय अग्रवाल का यहां से स्थानांतरण हो गया। उसके बाद न जाने यहां कितने डीएम आए और लफ्फाजी कर यहां से चले गए, लेकिन किसी ने भी इसकी सुध लेना उचित नहीं समझा। उन्हें कभी अहसास भी नहीं हुआ कि यहां कोई सरकारी बस स्टैंड भी है।
इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीपीपी मोड से 777 रुट की गाड़ियां चलाने की शुरुआत कर राज्य परिवहन विभाग में जान डाल दिया। इससे विभाग की स्थिति में तो सुधार जरूर हुआ है, लेकिन इस बस स्टैंड की खस्ता हाल में कोई सुधार नहीं आया। आज यह बस स्टैंड विभागीय भ्रष्टाचार और उपेक्षा का पर्याय बनकर रह गया है। जिसे देखने वाला कोई नहीं है।
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