बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ नगर निगम में इन दिनों गहरा राजनीतिक तनाव देखने को मिल रहा है। नगर निगम के 51 में से 44 पार्षदों ने महापौर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे शहर की प्रशासनिक गतिविधियों पर व्यापक असर पड़ रहा है। पार्षदों ने महापौर द्वारा लिए गए निर्णयों और उनके कामकाज के तरीके पर गंभीर सवाल उठाते हुए नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा है।
इस ज्ञापन में पार्षदों ने निविदा संख्या 4/24-25 के प्रकाशन को तत्काल रद्द करने की मांग की है। पार्षदों का आरोप है कि यह निविदा बिना स्थायी समिति की स्वीकृति के जारी की गई है, जो कि नगर निगम की स्थापित प्रक्रिया के खिलाफ है। उनका कहना है कि योजनाओं की निविदा तब ही जारी की जानी चाहिए जब वह निगम बोर्ड द्वारा पूरी तरह से पारित हो।
पार्षदों ने यह भी खुलासा किया कि निविदा संख्या 4/24-25 के अंतर्गत कई योजनाओं को पुनः निविदा किया गया है, जो विधिसम्मत नहीं है। उनका मानना है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और यह निगम के नियमों का उल्लंघन है।
महापौर के खिलाफ दिए गए इस ज्ञापन पर उपमहापौर आईशा साहीन के लेटरहेड पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें प्रमुख पार्षदों के नाम शामिल हैं। हस्ताक्षरकर्ताओं में मुन्ना यादव, सुषमा राय, अंबिका सोनी, राजकुमार, धनंजय कुमार उर्फ पप्पू यादव, वंदना गुप्ता, तनुजा देवी, कविता कुमारी, किस्मत प्रवीण, जितेंद्र कुमार, निर्मला सिन्हा, शोभा देवी, सुनीता देवी, सुमन कुशवाहा, मो. जमील, और संजना नंद प्रसाद जैसे नाम शामिल हैं।
इस घटनाक्रम की खास बात यह है कि 51 पार्षदों वाले नगर निगम में 44 पार्षदों ने महापौर के खिलाफ हस्ताक्षर करके अपनी असहमति दर्ज कराई है, जो यह दर्शाता है कि निगम के अंदर महापौर के नेतृत्व के खिलाफ बड़े पैमाने पर असंतोष व्याप्त है।
अब देखना यह है कि नगर आयुक्त इस ज्ञापन पर क्या कदम उठाते हैं और क्या यह विवाद भविष्य में और गहरा होता है, या फिर कोई समझौता हो सकता है। फिलहाल, बिहारशरीफ के नागरिकों की नजरें इस मसले पर टिकी हुई हैं, क्योंकि इसका सीधा असर नगर निगम के कामकाज और शहर के विकास कार्यों पर पड़ सकता है।
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