नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार के गोपालगंज जिला अंतर्गत के भोरे प्रखंड स्थित डीह जैतपुरा उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय की एक शिक्षिका द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी करने का मामला सामने आया हैं।
शिक्षिका सुल्ताना खातून पर आरोप हैं कि उन्होंने कक्षा में बच्चों को एक विवादास्पद अनुवाद कार्य दिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में अभद्र बातें लिखी थीं।
बताया जाता हैं कि पांच अक्तूबर को अंग्रेजी की कक्षा में शिक्षिका सुल्ताना खातून ने ब्लैकबोर्ड पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 वर्षों से देश के लोगों को ‘मूर्ख’ बना रहे हैं” और छात्रों से इसका अंग्रेजी में अनुवाद करने को कहा।
जब बच्चों ने इस वाक्य को अपने अभिभावकों के साथ साझा किया तो इससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। स्थानीय ग्रामीणों ने इस विवादित कार्य का कड़ा विरोध करते हुए इसकी शिकायत स्कूल के हेडमास्टर और बीइओ (प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी) से की।
छात्रों के परिजनों और ग्रामीणों ने इसे न केवल अनुचित बताया बल्कि आरोप लगाया कि शिक्षिका हाल के दिनों में लगातार राजनीतिक और आपत्तिजनक बातें कक्षा में कह रही थीं।
अभिभावकों का आरोप हैं कि स्कूल में राजनीतिक मुद्दों को छात्रों के सामने लाने का कोई औचित्य नहीं हैं और यह शिक्षिका की जिम्मेदारी हैं कि वह एक सकारात्मक और गैर-राजनीतिक माहौल में बच्चों को शिक्षित करें।
शिकायत मिलने के बाद बीइओ लखींद्र दास ने इस मामले को गंभीरता से लिया और शिक्षिका से जवाब-तलब किया हैं। उन्होंने कहा कि पढ़ाने के दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करना एक लोक सेवक को शोभा नहीं देता। इसलिए उनसे स्पष्टीकरण की मांग की गयी हैं और उनका जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
उधर विद्यालय के हेडमास्टर रमेश सिंह ने पुष्टि की और बताया कि छात्रों ने पहले भी शिक्षिका के खिलाफ शिकायत की थी और उन्हें इस संबंध में चेतावनी भी दी गई थी।
उन्होंने कहा कि यह सही हैं कि बच्चों ने मुझसे भी शिक्षिका की शिकायत की थी। उन्हें पहले भी समझाया गया था। लेकिन इस बार मामला गंभीर हैं और इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को की गई हैं।
हालांकि अभी तक शिक्षिका सुल्ताना खातून की ओर से कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए बीइओ द्वारा जांच की जा रही हैं और डीएम प्रशांत कुमार ने भी मामले की जानकारी मिलने पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया हैं।
वेशक यह घटना एक व्यापक सवाल उठाती हैं कि क्या राजनीतिक विचारों का प्रसार कक्षाओं में किया जाना चाहिए। बच्चों को शिक्षा दी जाती हैं, ताकि वे तर्कसंगत सोच विकसित कर सकें। न कि किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा के प्रति झुकाव। इस घटना ने स्कूलों में राजनीति के हस्तक्षेप और शिक्षा के नैतिक मूल्यों के संरक्षण की आवश्यकता पर भी ध्यान आकर्षित किया हैं।
- ऑनलाइन शॉपिंग का फैलता मकड़जाल, लोग हो रहें हैं ठगी का शिकार
- 10 फर्जी शिक्षकों का नियोजन रद्द, वेतन की रिकवरी का आदेश
- नीट पेपर लीक कांड: मास्टरमाइंड संजीव मुखिया अब भी फरार
- नालंदा के 488 स्कूलों ने अब तक नहीं किया यू डाइस प्लस अपडेट
- नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में एडमिशन प्रक्रिया शुरू, 15 नवंबर तक करें आवेदन