“बीपीएससी की इस परीक्षा (BPSC TRE-3) में रिक्तियों की संख्या और चयन की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर किया है। सरकार और बीपीएससी को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि अगले चरणों में इन रिक्तियों को शीघ्रता से भरा जाए और शिक्षा व्यवस्था को बेहतर किया जाए…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने तीसरी चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा (BPSC TRE-3) का परिणाम जारी कर दिया है। इस परीक्षा के तहत बिहार शिक्षा विभाग के 11वीं-12वीं के 29 विषयों, एससी-एसटी वेलफेयर के 11वीं-12वीं के 15 विषयों और छठी से 10वीं के नौ विषयों के परिणाम घोषित किए गए हैं। कुल 12,676 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। जिनमें विभिन्न श्रेणियों और विषयों के लिए उम्मीदवारों का चयन किया गया है।
इस बार 11वीं-12वीं के शिक्षा विभाग में कुल 12,195 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। वहीं अनुसूचित जाति-जनजाति वेलफेयर स्कूलों के लिए 201, छठी से 10वीं के विषयों में 109 और विशेष विद्यालय शिक्षक के लिए 171 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। वहीं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के अंतर्गत उच्च माध्यमिक विद्यालय के 11वीं-12वीं के लिए 201 और छठी से 10वीं के लिए 109 अभ्यर्थी सफल हुए हैं।
हालांकि, इस वर्ष की परीक्षा में सफलता का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम रहा है। टीआरई-3 के तहत 11वीं-12वीं के शिक्षकों के लिए कुल 24,811 पदों को भरा जाना था, लेकिन केवल 12,195 अभ्यर्थी ही सफल हो सके हैं। खासकर केमिस्ट्री में 3742 रिक्तियों के लिए केवल 273 अभ्यर्थी का चयन हुआ है। जो कि बहुत ही कम है। इसी तरह फिजिक्स में 1961 में से 441, वनस्पतिशास्त्र में 1485 में से 566 और गणित में 1220 में से 779 अभ्यर्थी ही सफल हो पाए हैं।
सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह है कि मगही भाषा में 106 रिक्तियों के बावजूद एक भी अभ्यर्थी का चयन नहीं हो पाया है। यह स्थिति शिक्षा प्रणाली में गहरी चिंता का विषय बन चुकी है। खासकर स्थानीय भाषाओं के मामले में जहां ऐसी भाषा में रिक्तियां भरी नहीं जा सकी हैं।
एससी-एसटी 11वीं-12वीं के विषयों में खासकर फिजिक्स और केमिस्ट्री में एक भी शिक्षक का चयन नहीं हो पाया है। ये विषय जिनमें शिक्षक की भारी कमी है। वे शिक्षा विभाग के लिए चुनौती बने हुए हैं।
बीपीएससी के अधिकारियों ने अभ्यर्थियों को सूचित किया है कि वे अपना परिणाम बीपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट www.bpsc.bih.nic.in पर जाकर देख सकते हैं।
इस चयन प्रक्रिया के बाद बिहार सरकार द्वारा चयनित उम्मीदवारों को संबंधित विषयों में शिक्षण कार्य के लिए नियुक्ति दी जाएगी। हालांकि जिन विषयों में बड़ी संख्या में रिक्तियां बनी हैं, उन पर फिर से विचार किया जाएगा और आगामी चयन परीक्षाओं में इन रिक्तियों को भरने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
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