बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार सूबे में अंचलाधिकारियों ने राज्यस्तरीय आंदोलन के तहत जमीन की दाखिल खारिज कार्य से स्वयं को अलग कर लिया है। इसका व्यापक असर पड़ा है। पहले दिन जिले के अंचल कार्यालयों में 600 से अधिक दाखिल खारिज के मामले पेंडिंग रहे। जरुरतमंद लोग अंचल कार्यालयों से निराश होकर लौट रहे हैं।
बिहार रेवेन्यू सर्विस एसोसिएशन के अध्यक्ष सह कतरीसराय अंचलाधिकारी (सीओ) धीरज प्रकाश ने बताया कि पूरे बिहार में प्रतिदिन 30 से 40 हजार जमीनों के जमीन की दाखिल खारिज होते हैं। सूबे के 535 अंचलों में से 431 में 18 जुलाई से एक भी जमीन का जमीन की दाखिल खारिज नहीं किया गया है। जिन अंचलों में जमीन की दाखिल खारिज के कार्य हुए है, वहां बिहार रेवेन्यू सर्विस के अधिकारी नहीं है।
नालंदा में प्रतिदिन 800 से अधिक दाखिल खारिज के कार्यों का निष्पादन होता था। कार्य बहिष्कार के कारण महज 200 के आसपास ही जमीन की दाखिल खारिज के कार्यों का निपटारा हुआ है। 20 अंचलों में से सिर्फ राजगीर व अस्थावां में जमीन की दाखिल खारिज के कार्यों का निष्पादन किया गया है।
सीओ ने बताया कि विभाग के मनमाने रवैये के खिलाफ बिहार रेवेन्यू सर्विस के अधिकारियों का आंदोलन जारी रहेगा। जमीन की दाखिल खारिज के कार्यों से अलग रहेंगे। हालांकि अंचल कार्यालयों के अन्य सभी कार्य पूर्ववत करेंगे।
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