
कतरीसराय (नालंदा दर्पण)। सरकारी विद्यालयों (Government Schools) के प्रति आम जनमानस में यह धारणा प्रबल रही है कि इन विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता और बच्चों की उपस्थिति संतोषजनक नहीं होती। इस धारणा को तोड़ने और सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कतरीसराय प्रखंड में एक सराहनीय पहल शुरू की गई है।
इस पहल के तहत टेक नारायण प्लस टू विद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष और शिक्षकों की एक समर्पित टोली गांव-गांव जाकर बच्चों और उनके अभिभावकों से संपर्क कर रही है। ताकि बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके और ड्रॉपआउट की समस्या को रोका जा सके।
शिक्षा विभाग के इस अभियान के तहत शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष भूपेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई है। यह टीम प्रखंड के पोषक क्षेत्रों में घर-घर जाकर अभिभावकों से मुलाकात कर रही है। इसका उद्देश्य न केवल बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित करना है, बल्कि अभिभावकों को शिक्षा के महत्व और उनके बच्चों के भविष्य के प्रति जागरूक करना भी है।
पुस्तकालयाध्यक्ष भूपेंद्र कुमार ने बताया कि कई बार बच्चों की नासमझी के कारण वे शैक्षणिक सत्र के दौरान विद्यालय से भाग जाते हैं। इस जिसका सीधा असर उनके शैक्षणिक भविष्य पर पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए हमारी टीम प्रतिदिन गांवों में जाकर बच्चों और उनके अभिभावकों से संवाद कर रही है। हम उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि नियमित उपस्थिति और शिक्षा बच्चों के भविष्य को संवारने में कितनी महत्वपूर्ण है।
इस पहल का एक प्रमुख लक्ष्य ड्रॉपआउट दर को कम करना है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कई बच्चे आर्थिक, सामाजिक या पारिवारिक कारणों से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। इस अभियान के तहत शिक्षक न केवल बच्चों को प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि उनके अभिभावकों को भी यह विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि सरकारी विद्यालयों में अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है।
शिक्षकों की यह टोली अपने अनूठे तरीके से अभिभावकों के साथ संवाद स्थापित कर रही है। वे अभिभावकों को सरकारी योजनाओं, मुफ्त शिक्षा, मिड-डे मील और अन्य सुविधाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो बच्चों के लिए उपलब्ध हैं। साथ ही वे बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में शिक्षा की भूमिका पर जोर दे रहे हैं। इस प्रयास से कई अभिभावकों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है, और वे अपने बच्चों को नियमित रूप से विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
भूपेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी टीम जल्द ही विद्यालयों में अतिरिक्त गतिविधियों, जैसे खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और कौशल विकास कार्यशालाओं को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, ताकि बच्चे विद्यालय आने के लिए और अधिक उत्साहित हों।
बहरहाल, यह पहल न केवल कतरीसराय प्रखंड के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन रही है। शिक्षा विभाग और शिक्षकों के इस समर्पण से सरकारी विद्यालयों के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है और बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होने की उम्मीद जगी है।