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    Saturday, September 7, 2024
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      पइन का अतिक्रमण कर बना लिया मकान, शिकायत पर नहीं होती कार्रवाई

      नालंदा दर्पण डेस्क। सरकार एक तरफ हर खेत तक पानी पहुंचाने का अभियान चला रही है, दूसरी तरफ अतिक्रमणकारी सिंचाई जलस्रोतों पर अतिक्रमण करने में लगे हैं। राजगीर शहर में कई जगहों पर अतिक्रमण के कारण सिंचाई जलस्त्रोतों में जल का बहाव बंद हो गया है। कई जगहों पर उसके अस्तित्व ही विलुप्त हो गये हैं।

      राजगीर नगर परिषद के वार्ड 30, 31 और रेलवे स्टेशन के पूरब से बहने वाले पइन के जलस्रोतों का खस्ता हाल है। रेलवे स्टेशन मोड़ और बीआरसी के बगल से बहने वाले इस जलस्रोत पर बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के द्वारा मकान, दुकान बना लिया गया है। कुछ लोगों के द्वारा चहारदीवारी बनाकर अतिक्रमण किया गया है। इससे सिंचाई जलस्रोत पूर्ण रूप से बेकार हो गया।

      आश्चर्य तो यह है कि शिकायत के बावजूद अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। इससे प्रशासन के खिलाफ लोगों में आक्रोश है। स्थिति यह है कि उन पइनों से बारिश का पानी भी अब खेतों में नहीं पहुंच पाता है। अधिक वर्षा होने पर जंगल का पानी घरों में घुसने लगता है।

      वार्ड पार्षद ने बताया कि नगर परिषद के वार्ड संख्या 20 में एक मात्र सिंचाई जलस्रोत पइन है। वह बीआरसी, आंबेडकर नगर, गंजपर, पंडितपुर होते दरियापुर की ओर जाती है। इससे बाजार, पंचवटी नगर, आंबेडकर नगर, पटेल नगर, टिल्हापर आदि मुहल्ले के पानी की निकासी होती थी।

      इस जलस्त्रोत पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा होने से सिंचाई व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यह जलस्रोत दम तोड़ने के कगार पर है। मौजूदा स्थिति में यह जलस्रोत केवल नक्शा और राजस्व विभाग की पंजियों की शोभा बनकर रह गया है। धरातल पर केवल जलस्रोत का कंकाल बच रहा है।

      इसकी हालत इतनी बदहाल है कि अब बरसात के दिनों में भी इस जलस्रोत से पानी का बहाव नहीं होता है। इसके कारण किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खेती-किसानी की बात करें, तो जलस्रोत बंद हो जाने से रबी हो या खरीफ फसल पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसको अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए सीओ और नगर कार्यपालक पदाधिकारी से अनेकों बार गुहार लगायी गयी है, लेकिन अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय एक दूसरे पर फेंका फेंकी करते हैं।

      वार्ड पार्षद अनिल कुमार ने बताया कि दशकों से इस पइन पर से अतिक्रमण हटाने की मांग की जा रही है। विधान परिषद में भी सवाल उठाये गये हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन की शिथिलता से आज तक अतिक्रमणमुक्त नहीं कराया गया है। यही हाल वार्ड संख्या पांच लहुआर, 21 बड़ी मिल्की 30 बंगाली पाड़ा, 31 ठाकुरथान आदि की है।

      वहीं राजगीर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुश्री दिव्या शक्ति का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है। सात पारंपरिक जलस्रोतों में से तीन की मापी हो चुकी है। लेदुआ पुल से बीआरसी, आंबेडकर नगर, पंडितपुर, दरियापुर पइन सहित सभी चार जलस्रोतों की मापी चार अमीन से करायी जा रही है। मापी बाद सभी अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर अतिक्रमणवाद की कार्रवाई की जायेगी।

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