नालंदा दर्पण डेस्क। उद्योग विभाग के कार्य निष्पादन और योजनाओं के क्रियान्वयन व मॉनिटरिंग की जिलावार रैकिंग जारी की गयी है। नवंबर माह में कार्यों के निष्पादन के आधार पर नालंदा 58 अंकों के साथ बिहार में 9वें स्थान पर है। जबकि, 100 में से 73.5 अंकों के साथ सिवान पहले पायदान पर हैं।
68 अंकों के साथ पटना दूसरा तो 64 अंकों के साथ मुंगेर और शेखपुरा संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर है। वहीं, कटिहार 26 अंकों के साथ रैकिंग सूची में सबसे नीचे है।
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना (एमएमयूवाई), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएमएफएमई),बिहार स्टार्टअप, बैंकों और उद्यमियों के साथ संवाद व एमएसएमई योजना के क्रियान्वयन के आधार पर जिलों की रैकिंग तय की गयी है।
स्टार्टअप योजना को लाभुकों तक पहुंचाने में नालंदा सबसे पीछे रहा है। 10 में मात्र एक अंक मिला है। जबकि, बैंकों और उद्यमियों के साथ संवाद में 10 में 10 अंक दिया गया है। एमएमयूवाई में 25 में 17 तो पीएमईजीपी में 25 में 15 अंक मिला है।
पीएमएफएमई के क्रियान्वयन में बेहतर स्थिति न रहने के कारण 20 में 10 अंक तो एमएसएमई में 10 में पांच अंक दिया गया है।
विभाग के पदाधिकारी रैकिंग में पिछड़ने के लिए बैंकों को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। आंकड़ें भी इसकी गवाही दे रहे हैं। पीएमईजीपी में इस साल 219 उद्यमियों को लाभ देना है। विभाग से अबतक करीब 856 आवेदन बैंकों को भेजे गये हैं। इनमें से 552 को अस्वीकृत कर दिया गया। 130 पेंडिंग हैं। 183 को स्वीकृति दी गयी।
लेकिन, अबतक करीब 100 लाभुकों को ही लोन की राशि मिली है। 10 लाख तक का लोन बिना मार्जिन मनी को देना है। इससे ज्यादा का लोन के लिए कुल प्रोजेक्ट का 10 फीसद मार्जिन मनी ली जाती है। पेच यही फंसाया जाता है। बैंक बिना मार्जिन मनी के लोन देने में आनाकानी करता है।
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत पिछले साल 470 लोगों का चयन किया गया था। 457 लोग प्रशिक्षण ले चुके हैं। 452 को पहली तो करीब दो सौ को दूसरी किस्त की राशि दी गयी है। जबकि, 18 लोगों को तीसरी किस्त दी गयी है।
दूसरी और तीसरी किस्त उन लोगों को अबतक नहीं मिला, जिन्होंने उपयोगिता पत्र नहीं दिया है। हालांकि, विभाग द्वारा नोटिस भी दिया जा चुका है।
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