पटना (नालंदा दर्पण)। राघवेंद्र शर्मा बनाम राज्य सरकार के मामले में पटना उच्च न्यायालय द्वारा शिक्षकों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है। इस फैसले से उन शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होती नजर आ रही है, जो मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान में कार्यरत हैं और अपनी सेवा के 8 साल पूरे कर चुके हैं। उच्च न्यायालय के इस फैसले से शिक्षकों को स्नातक वेतनमान में प्रोन्नति मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
शिक्षकों में खुशी की लहरः फैसले के बाद से जिले के शिक्षकों में भारी उत्साह देखा जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि यह फैसला उनके भविष्य को लेकर काफी महत्वपूर्ण है।
अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ ने इसे शिक्षकों की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि न्यायालय के इस फैसले से हजारों शिक्षक लाभान्वित होंगे।
वर्षों से अटकी प्रोन्नति की आसः शिक्षा विभाग के नियमानुसार जो शिक्षक मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान में 8 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं, उन्हें स्नातक वेतनमान में प्रोन्नति दी जानी चाहिए।
साथ ही जो शिक्षक स्नातक वेतनमान में 5 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं, उन्हें प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति देने का भी प्रावधान है। वर्षों से इस प्रोन्नति का इंतजार कर रहे शिक्षकों के लिए पटना उच्च न्यायालय का यह फैसला किसी वरदान से कम नहीं है।
बेगूसराय के शिक्षक राघवेंद्र शर्मा की भूमिकाः इस मामले में प्रमुख भूमिका बेगूसराय के शिक्षक राघवेंद्र शर्मा की रही, जिन्होंने न्यायालय में यह मामला दायर किया। उनकी पहल के कारण पटना उच्च न्यायालय ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे शिक्षकों के हक की लड़ाई को बड़ी जीत मिली है।
राज्यभर के शिक्षकों को मिलेगा लाभः पटना उच्च न्यायालय का यह निर्णय केवल नालंदा या बेगूसराय के शिक्षकों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका लाभ पूरे बिहार राज्य के शिक्षकों को मिलेगा। राज्यभर में हजारों शिक्षक इस फैसले के बाद प्रोन्नति और वेतन वृद्धि का इंतजार कर रहे हैं।
वेशक, शिक्षकों के वेतनमान में वृद्धि होने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि उन्हें पद और प्रतिष्ठा का भी लाभ मिलेगा। अब शिक्षकों को उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द इस फैसले को लागू करेगी और उन्हें उनका हक मिलेगा।