“यह नियमावली न केवल शिक्षकों को जवाबदेह बनाएगी, बल्कि आम जनता को भी विद्यालयों की स्थिति सुधारने में योगदान करने का अवसर देगी। शिकायतों के निपटारे की पारदर्शी प्रक्रिया शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार सरकार ने शिक्षकों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन लाने के लिए बड़ा रोचक कदम उठाया है। बिहार शिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव (ACS) डॉ. एस सिद्धार्थ ने नई नियमावली की जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षक अब सेवा नियमावली के तहत पूरी तरह से जवाबदेह होंगे।
नई नियमावली के तहत विशिष्ट शिक्षकों को नियुक्ति स्थल पर ही वेतनमान मिलेगा। जिसकी प्रक्रिया सरकार द्वारा निर्धारित तिथि को गजट प्रकाशित होने के साथ शुरू होगी। सेवा संपुष्टि के लिए सभी प्रमाण पत्रों की गहन जांच अनिवार्य की गई है। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि नियुक्ति प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो और शिक्षकों की सेवा शुद्धता सुनिश्चित की जा सके।
डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि शिक्षकों के खिलाफ विभागीय शिकायतों की जांच का प्रावधान भी नियमावली में शामिल किया गया है। कोई भी नागरिक शिक्षकों के खिलाफ शिकायत कर सकता है। उनमें विद्यालय का अनुशासन बिगाड़ना, नियमित पढ़ाई न करना, विद्यालय में स्थानीय राजनीति को बढ़ावा देना, उपस्थिति दर्ज कर विद्यालय से अनुपस्थित रहना शामिल हैं।
शिकायत मिलने पर शिक्षक को अपनी बात रखने के लिए तीन अवसर दिए जाएंगे। पहला अवसर: शिकायत मिलने पर शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। दूसरा अवसर: जांच के बाद स्थिति स्पष्ट न होने पर जिलाधिकारी शिक्षक का स्थानांतरण जिले के किसी अन्य विद्यालय में कर सकते हैं। तीसरा अवसर: गंभीर मामलों में जिलाधिकारी शिक्षक का जिले से बाहर स्थानांतरण करने की अनुशंसा कर सकते हैं।
शिक्षक यदि जिलाधिकारी के निर्णय से असहमत होते हैं तो वे शिक्षा विभाग के निदेशक के समक्ष अपील कर सकते हैं। इसके बाद भी असंतोष होने पर शिक्षा सचिव के पास अपील का अंतिम अधिकार होगा।
डॉ. सिद्धार्थ के अनुसार नई नियमावली से शिक्षकों में जिम्मेदारी का भाव उत्पन्न होगा। शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है। नई व्यवस्था से विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
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