बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में अब आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। इसमें बिहारशरीफ, बिंद, हिलसा, इसलामपुर, करायपरसुराय, कतरीसराय, परवलपुर, रहुई, सरमेरा और थरथरी प्रखंड शामिल हैं।
बता दें कि बच्चों के समग्र शैक्षणिक विकास में उनके स्वास्थ्य और पोषण का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत इस नई पहल की शुरुआत की है।
कार्यक्रम के तहत जिले के 10 प्रखंडों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विद्यालय स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित होगा। इसके लिए कक्षा 6 से 12वीं तक के प्रत्येक विद्यालय से दो शिक्षक (एक पुरुष और एक महिला) को चार दिवसीय गैर-आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को भी एक दिवसीय गैर-आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षण के बाद शिक्षक बच्चों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करेंगे। वे विद्यालय में स्वास्थ्य कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। जिसमें स्वास्थ्य सुधार, मानसिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण और जेंडर समानता जैसे विषय शामिल होंगे।
प्रशिक्षण मॉड्यूल में इन बिंदुओं को प्रमुखता दी गई है-
- व्यक्तिगत स्वच्छता: विशेष रूप से मासिक धर्म स्वच्छता।
- पोषण: एनीमिया की रोकथाम सहित।
- नशा: तंबाकू, शराब और ड्रग्स से बचाव।
- मानसिक स्वास्थ्य: आत्महत्या और अवसाद जैसे मुद्दे।
- सड़क सुरक्षा: चोटों और दुर्घटनाओं से बचाव।
- रिश्ते और यौन शिक्षा: बाल विवाह और बच्चे के जन्म से जुड़ी जानकारी।
- लिंग समानता: लिंग आधारित हिंसा और अन्य प्रकार की हिंसा की रोकथाम।
- शारीरिक गतिविधि: योग और ध्यान का प्रोत्साहन।
- इंटरनेट और सोशल मीडिया: सुरक्षित उपयोग।
किशोरावस्था में बच्चों के शारीरिक और मानसिक बदलावों की चर्चा आमतौर पर नहीं की जाती है। इस वजह से बच्चे कई प्रकार की गलतफहमियों का शिकार हो जाते हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य इन मुद्दों पर खुलकर बात करना और बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन देना है।
कार्यक्रम के तहत प्रत्येक विद्यालय से दो शिक्षकों को स्वास्थ्य राजदूत के रूप में नामित किया जाएगा। इन्हें स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार को प्रोत्साहित करने और रोगों की रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यालय जाने वाले बच्चों में स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी जागरूकता पैदा करना है। साथ ही, विद्यालय स्तर पर संचालित स्वास्थ्य गतिविधियों को प्रोत्साहन देना है। इसके माध्यम से बच्चों को न केवल बीमारियों से बचाया जाएगा, बल्कि उनका समग्र विकास भी सुनिश्चित होगा।
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