
नगरनौसा (नालंदा दर्पण)। कुख्यात पेपर लीक माफिया संजीव कुमार उर्फ लूटन मुखिया नौ महीने से पुलिस की पकड़ से बाहर है। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), सीबीआई और अन्य केंद्रीय एजेंसियां उसकी तलाश में बिहार, दिल्ली, नेपाल और भूटान तक छानबीन कर रही हैं। लेकिन वह हर बार जांच एजेंसियों को चकमा देने में कामयाब रहा है। इस बीच उसकी पत्नी ममता देवी हरनौत विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं और क्षेत्र में उनके प्रचार पोस्टर और बैठकें चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
बता दें कि 10 अप्रैल 2025 को बिहार आर्थिक अपराध ईकाई ने संजीव मुखिया की गिरफ्तारी के लिए तीन लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। इसके साथ ही उसके दो सहयोगियों नालंदा के शुभम कुमार और अरवल के राज किशोर कुमार पर एक-एक लाख रुपये का इनाम रखा गया। ईओयू ने छह दिन बाद भी कोई ठोस सुराग नहीं पाया है। जिससे संजीव की गिरफ्तारी संभव हो सके।
कहा जाता है संजीव मुखिया के नेपाल या भूटान में छिपे होने की प्रबल संभावना है। उसकी तलाश में स्थानीय और केंद्रीय एजेंसियां समन्वय कर रही हैं। लेकिन वह इतना शातिर है और उसका नेटवर्क इतना मजबूत है कि वह बार-बार लोकेशन बदल रहा है। पुलिस को चकमा दे रहा है।
ईओयू की एक विशेष टीम दिल्ली में सीबीआई अधिकारियों से मिलकर इस हाई-प्रोफाइल मामले में सहयोग मांग चुकी है। सूत्रों के अनुसार संजीव के फोन कॉल्स और बैंक खातों की डिटेल्स खंगाली जा रही हैं। लेकिन वह डिजिटल ट्रेस छोड़ने से बच रहा है। बिहार पुलिस ने बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में कई ठिकानों पर छापेमारी की। लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा।
इधर, संजीव मुखिया की पत्नी ममता देवी इस दौरान हरनौत विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं। उन्होंने हाल ही में हरनौत में अपने चुनावी कार्यालय का उद्घाटन किया, जहां सैकड़ों समर्थकों की भीड़ जमा हुई। ममता ने 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के टिकट पर हरनौत से चुनाव लड़ा था। लेकिन जेडीयू के हरि नारायण सिंह से हार गई थीं। इस बार वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में या किसी नई पार्टी के साथ मैदान में उतरने की योजना बना रही है। उसके प्रचार में भारी खर्च और पोस्टर-बैनरों की भरमार ने स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का माहौल बना दिया है।
नगरनौसा के एक स्थानीय निवासी ने कहा कि ममता देवी के पास इतना पैसा कहां से आ रहा है, यह सबके लिए सवाल है। संजीव भले ही फरार हो, लेकिन उसके पैसे की रौब अब भी गांव में कायम है।
बता दें कि संजीव मुखिया का नाम पहली बार 2016 में बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में सामने आया था। इसके बाद बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा (15 मार्च 2024) और नीट-यूजी 2024 (1 मई 2024) के पेपर लीक में भी वह मुख्य आरोपी के रूप में उभरा।
जांच में पता चला कि संजीव ने अपने सॉल्वर गैंग के जरिए प्रत्येक छात्र से 40 लाख रुपये लेकर पेपर और उत्तरपत्र उपलब्ध कराए। पटना के एक निजी स्कूल में छात्रों को उत्तर रटवाए गए, जिसके बाद नीट परीक्षा रद्द करने की मांग उठी।
संजीव का बेटा डॉ. शिव कुमार भी शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में जेल में है। जांच एजेंसियों ने पाया कि संजीव का नेटवर्क बिहार के अलावा झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फैला हुआ है। वह नूरसराय हॉर्टिकल्चर कॉलेज में तकनीकी सहायक के रूप में कार्यरत था। लेकिन पेपर लीक कांड के बाद छुट्टी लेकर फरार हो गया।
वहीं 4 मार्च 2025 को ईओयू ने संजीव के पैतृक गांव शाहपुर बलबा में उसके घर पर इश्तेहार चिपकाया था, जिसमें उसे सरेंडर करने की चेतावनी दी गई थी। अब पटना सिविल कोर्ट ने उसकी संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। ईओयू ने अनुमान लगाया है कि संजीव के पास उसकी आय से 144% अधिक संपत्ति है, जिसकी कीमत करीब 2.75 करोड़ रुपये है।
फिलहाल संजीव मुखिया की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी जांच के दायरे में हैं। उनकी पत्नी ममता देवी 2016 से 2021 तक भुतहाखार पंचायत की मुखिया रह चुकी हैं। विपक्षी पार्टियों ने ममता की पुरानी तस्वीरें जेडीयू और एलजेपी नेताओं के साथ साझा कर सवाल उठाए हैं। हालांकि सत्तारूढ़ जेडीयू और एलजेपी ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है।
ईओयू के एक अधिकारी ने बताया कि संजीव मुखिया का नेटवर्क इतना जटिल है कि वह स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे अपराधियों से लेकर बड़े रसूखदार लोगों तक का सहारा ले रहा है। सूत्रों का दावा है कि वह नेपाल-भारत सीमा पर लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा है। सीबीआई और ईडी ने भी उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और पेपर लीक के कई मामले दर्ज किए हैं। (समाचार स्रोत: विभिन्न समाचार वेबसाइट्स और एक्स पोस्ट्स)
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