बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। पटना निगरानी विभाग की विशेष अदालत (Patna Vigilance Court) ने घूसखोरी मामले में विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल कार्यालय नालंदा के तत्कालीन लेखा सहायक सुरेंद्र चौधरी को एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने सुरेंद्र चौधरी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 7 और धारा 13(1)(डी) के तहत दोषी पाया, जिसके आधार पर यह सजा दी गई।
निगरानी ट्रैप के प्रभारी लोक अभियोजक किशोर कुमार सिंह ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि यह घटना वर्ष 2007 की है, जब परिवादी प्रियदर्शी सुभाष एक फ्रेंचाइजी संचालित कर रहे थे। फ्रेंचाइजी के लिए बिजली कनेक्शन लेने हेतु जब वे सहायक विद्युत अभियंता से मिले तो अभियंता ने कनेक्शन के बदले 5000 रुपये की रिश्वत मांगी। साथ ही लेखा सहायक सुरेंद्र चौधरी को 1100 रुपये देने की मांग भी की गई। परिवादी ने इसकी शिकायत निगरानी विभाग से की। जिसके बाद विभाग ने जाल बिछाया।
16 सितंबर, 2007 को निगरानी विभाग की टीम ने घूस लेते हुए दोनों अभियुक्तों- सहायक विद्युत अभियंता और लेखा सहायक सुरेंद्र चौधरी – को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। हालांकि विचारण के दौरान सहायक विद्युत अभियंता की मृत्यु हो गई। जिसके कारण मामला केवल सुरेंद्र चौधरी के खिलाफ आगे बढ़ा। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में कुल 11 गवाहों की गवाही पेश की। गवाहों के बयान, सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर विशेष अदालत ने लेखा सहायक को भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी करार दिया।
लोक अभियोजक किशोर कुमार सिंह ने बताया कि यह सजा भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी विभाग की सख्त कार्रवाई का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद करेंगे। सुरेंद्र चौधरी को सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। निगरानी विभाग ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि वे भविष्य में भी ऐसी कार्रवाइयों को जारी रखेंगे।
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