हिलसा (नालंदा दर्पण)। बिहार में राजगीर-दनियावां रेल खंड (Rajgir-Daniyawan rail section), जो चंडी होकर गुजरता है, वह पिछले 9 वर्षों से विकास की राह देख रहा है।
बता दें कि 25 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रेल खंड पर पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इससे लोगों में उम्मीद जगी थी कि यह क्षेत्र जल्द ही बेहतर रेल सेवा से जुड़ जाएगा। लेकिन इन नौ वर्षों में इस खंड पर मात्र एक ही ट्रेन चलाई जा सकी है। वह भी केवल फतुहा तक ही सीमित रही। राजधानी पटना से सीधा रेल संपर्क अब तक स्थापित नहीं हो सका है। इससे स्थानीय लोगों में निराशा व्याप्त है।
राजनीतिक उदासीनता बनी बाधाः राजगीर-दनियावां रेल खंड पर विकास की रफ्तार धीमी होने के पीछे राजनीतिक उदासीनता को प्रमुख कारण माना जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू केंद्र की सरकार का हिस्सा है। बावजूद इसके इस रेल खंड पर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है।
स्थानीय सांसद कौशलेन्द्र कुमार, जो जदयू के प्रतिनिधि हैं, वे भी इस मुद्दे पर कोई विशेष सक्रियता दिखाते नहीं दिखे हैं। लोगों का मानना है कि जातीय समीकरण के चलते उन्हें हर चुनाव में आसानी से जीत मिल जाती है। इसलिए रेल खंड के विकास पर ध्यान देने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं होती।
स्थानीय निवासियों की शिकायतें: इस रेल खंड के विस्तारीकरण और फतुहा से पटना तक सीधी रेल सेवा की मांग वर्षों से की जा रही है। लेकिन हर बार आश्वासन ही मिलता है। स्थानीय निवासी इस स्थिति से बेहद नाराज हैं।
उनका कहना है कि डबल इंजन की सरकार में भी यह क्षेत्र विकास से वंचित है। लोग यह भी आरोप लगाते हैं कि स्थानीय विधायक और सांसद जातिगत समीकरणों के आधार पर जीतते हैं। जिससे उन्हें जनता के विकास के मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती।
क्षेत्रीय विकास की उम्मीदें धूमिलः प्रधानमंत्री मोदी के तीन बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इस रेल खंड पर कोई दूसरा ट्रेन या पटना तक विस्तार न हो पाना इस क्षेत्र के विकास की उम्मीदों को धूमिल कर रहा है। स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि इस रेल सेवा से व्यापार, रोजगार और आवागमन में सुधार होगा। लेकिन मौजूदा स्थिति ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
सरकार से गुहारः क्षेत्र के लोगों की मांग है कि इस रेल खंड पर तेजी से काम हो और इसे पटना तक जोड़ा जाए। साथ ही नई ट्रेनों की शुरुआत की जाए ताकि क्षेत्र के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और उनका जीवनस्तर ऊंचा उठ सके।