बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में कल शाम करीब चार बजे अचानक आई भयंकर आंधी और तूफान (Storm havoc) ने तबाही मचा दी। लगभग 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं के साथ भारी बारिश ने जिले को हिलाकर रख दिया। इस प्राकृतिक आपदा के कारण दिन में ही करीब एक घंटे के लिए अंधेरा छा गया। जिससे जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया। इस त्रासदी में 22 लोगों की जान चली गई। जबकि संपत्ति और फसलों को भारी नुकसान पहुंचा। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार जिले में करीब 50 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।
आंधी और तूफान के दौरान जिले के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी जान बचाने के लिए जहां-तहां छिपने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन कई जगहों पर यह प्रयास नाकाम रहा। बिहारशरीफ प्रखंड के नगवा गांव में सबसे ज्यादा छह लोगों की मौत हुई। यहां आपदा से बचने के लिए कई लोग एक मंदिर में शरण लिए हुए थे। इसी दौरान मंदिर के पास का एक विशाल पीपल का पेड़ मंदिर की छत पर गिर पड़ा। जिससे मंदिर ध्वस्त हो गया और छह लोगों की जान चली गई। इसी प्रखंड के विशुणपुर में एक और चैनपुरा में दो लोगों की मौत दर्ज की गई।
इस्लामपुर थाना क्षेत्र के जैतीपुर गांव में एक और हृदयविदारक घटना सामने आई। यहां एक दादी अपने दो पोतों के साथ तूफान से बचने के लिए एक पुल के नीचे छिपी थी। लेकिन पुल की दीवार अचानक ढह गई। जिसके मलबे में दबकर तीनों की दर्दनाक मौत हो गई।
सिलाव प्रखंड में नालंदा खंडहर के गार्ड राकेश कुमार भी तूफान से बचने के लिए एक पेड़ के नीचे खड़े थे। लेकिन पेड़ के जड़ से उखड़ने और उन पर गिरने से उनकी जान चली गई। सिलाव में ही एक अन्य व्यक्ति की मौत भी पेड़ के नीचे दबने से हुई।
बेन प्रखंड के गुल्ला विगहा गांव में एक व्यक्ति और गिरियक प्रखंड के दुर्गापुर गांव में किशोर अंकित कुमार की मौत भी पेड़ों के गिरने से हुई। रहुई प्रखंड के देकपुरा गांव में मां और बेटे की जान एक मुर्गी फार्म की दीवार के ढहने से चली गई। इन घटनाओं ने पूरे जिले को शोक में डुबो दिया।
आंधी और तूफान ने जिले की बिजली व्यवस्था को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। कई इलाकों में बिजली के खंभे उखड़ गए और तार टूट गए। दर्जनों घर ध्वस्त हो गए। जबकि कई घरों की छतें, सोलर प्लेट्स, दुकानों के साइन बोर्ड और करकट की सेड ताश के पत्तों की तरह उड़ गए। सड़कों पर पेड़ और मलबा बिखर गया। जिससे यातायात भी प्रभावित हुआ।
इस आपदा का सबसे गहरा असर जिले के किसानों पर पड़ा है। खेतों में तैयार खड़ी गेहूं और मूंग की फसलें तेज हवाओं और बारिश के कारण बर्बाद हो गईं। कई इलाकों में खेतों में पानी भर गया। जिससे फसलों के सड़ने का खतरा मंडरा रहा है। खलिहानों में रखी फसलें भी बारिश में भीगने से खराब होने की कगार पर हैं। किसानों का कहना है कि इस आपदा ने उनकी साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। सभी मृतकों के परिजनों को आपदा प्रबंधन विभाग के तहत 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह अनुदान राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अलावा प्रभावित इलाकों में बिजली व्यवस्था को बहाल करने और सड़कों को साफ करने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। प्रशासन ने किसानों के नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। ताकि उन्हें भी उचित मुआवजा दिया जा सके।
इस प्राकृतिक आपदा ने नालंदा जिले को गहरे जख्म दिए हैं। बिजली, सड़क और संचार व्यवस्था को पूरी तरह बहाल करने में समय लग सकता है। किसानों की बर्बाद फसलों ने उनकी आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर दिया है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन भी राहत कार्यों में जुट गए हैं। लेकिन इस त्रासदी से उबरने के लिए व्यापक स्तर पर सरकारी और सामुदायिक सहयोग की जरूरत है।
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