बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सीएम नीतीश कुमार सुशासन के लाख दावे कर लें, लेकिन उनके गृह जिले नालंदा में ही बेड़ा गर्क है। यहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत यह है कि बिहारशरीफ सदर अस्पताल में ईलाज तो दूर शव से पैसे वसूले जाते हैं।
एक ऐसा ही ताजा मामला आज देखने को मिला, जब परिजन पोस्टमार्टम होने के बाद शव लेने के लिए आरजू-मिन्नत करते रहे, फूट-फूटकर रोते रहे, लेकिन ईमानखोरों को कोई शर्म नहीं आई।
खबरों के अनुसार बिहारशरीफ सदर अस्पताल नालंदा थाना क्षेत्र अंतर्गत एक निजी होटल के पास अज्ञात वाहन की चपेट में आने से विद्दुपुर गांव निवासी महेंद्र यादव के 17 वर्षीय पुत्र जख्मी हो गया। जख्मी के बाद इलाज के लिए निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया था, लेकन गुरुवार के दिन उसकी मौत हो गई। उसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल लाया।
परिजनों के अनुसार शव को पोस्टमार्टम होने के बाद जब पिता ने बेटे के शव की मांग पोस्टमार्टम कर्मी से की तो उन्होंने दो हजार रुपए की मांग की। पैसा नहीं रहने के कारण काफी देर तक परिजन हाथ जोड़कर विनती करते रहे। फिर भी कर्मी का दिल नहीं पसीजा और कर्मी को 250 रुपए देने के बाद ही शव दिया गया।
मृतक के चाचा किशोर प्रसाद ने मीडिया को बताया कि दो हजार रुपए की मांग की, लेकिन मेरे पास इतना पैसा नहीं था। शव लेने के लिए हमलोग पोस्टमार्टम कर्मी के सामने हाथ और पैर जोड़े। इसके बाद भी शव नहीं दिया। किसी तरह 250 रुपए का इंतजाम किए तब जाकर पोस्टमार्टम कर्मी ने शव को दिया।
वहीं, पोस्टमार्टम कराने आए थाना के चौकीदार ने भी इसका खुलासा किया। चौकीदार ने बताया कि कर्मी ने दो हजार रुपए की मांग की, लेकिन परिजन के पास पैसा नहीं था। परिजन काफी हाथ-पैर जोड़े लास्ट में परिजनों ने 250 रुपए दिए। इसके बाद शव मिला।
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