राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार का महापर्व छठ पूजा में बड़गांव धाम की महत्ता किसी से छुपी नहीं है। यह विश्व के 12 अर्कों (सूर्य मंदिर) में से एक है। यहां हर वर्ष देश के कोने-कोने से श्रद्धालु छठव्रत करने के लिए आते हैं।
छठ में यह तालाब परिसर समेत पूरा बड़गांव में टेंट सिटी बन जाता है। इस दौरान यहां चार दिनों तक मेला लगता है। लेकिन, फिलहाल यहां के ऐतिहासिक तालाब का पानी आचमन के लायक नहीं दिख रहा है।
ऐसी मान्यता है कि यहां छठ करने से हर मुराद पूरी होती है। इस कारण सरकार ने यहां लगने वाले मेले को राजकीय मेला का दर्जा दिया है। लेकिन, प्रशासन की उदासीनता आज भी देखी जा सकती है। तालाब की आधी अधुरी उड़ाही कारण तालाब का पानी साफ नहीं हुआ है। अब भी हरा दिख रहा है। जो नहाने तो क्या आचमन के लायक भी नहीं है।
हर साल छठ आते ही आनन फानन में प्रशासन खानापूर्ति में लग जाता है। कुछ दिन पहले एसडीओ कुमार ऑकेश्वर ने बड़गांव स्कूल में समाजसेवियों व जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर समस्याओं व उसके निपटारे को लेकर फीडबैक लिया था। इसमें सूर्य तालाब के पानी को साफ कराने का आदेश दिया था।
80 हजार भक्त देते हैं अर्घ्य: इस घाट पर आसपास के दर्जनों गांवों व अन्य जिलों से 10 हजार से अधिक व्रती अर्घ्य देने पहुंचतीं हैं। इनके साथ लगभग 80 हजार भक्त भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं। सैकड़ों लोग तालाब परिसर के पास वाले चबुतरे या सड़क किनारे तंबु का सहारा लेते हैं।
यहां कष्टी अर्घ्य देने वाले भी व्रती काफी संख्या में पहुंचती है। चैत व कार्तिक मास में छठ पर्व में लाखों भक्त पहुंचते हैं। कई संस्थाएं भी व्रतियों की सेवा के लिए चार दिनों तक कैंप करतीं हैं। भक्तों के लिए तालाब परिसर के पास स्थाई सामुदायिक शौचालय तक नहीं है। कार्यपालक पदाधिकारी शम्स रजा ने
चारों तरफ शेड बनाने की मांगः तालाब के चारों तरफ सीढ़ी घाट बना है। इसकी सफाई के लिए विशेष व्यवस्था नहीं है। जबकि, मोरा तालाब सूर्य मंदिर के पास बने तालाब में हमेशा पानी साफ रहता है। जबकि, इस तालाब में हर पूजा त्योहार के बाद प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाता है।
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