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    Tuesday, April 30, 2024
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      राजगीर सूर्य कुंड के जल से बनता है खरना का प्रसाद, सांध्य अर्ध्य बाद होती है गंगा आरती

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर राजगीर कुंड क्षेत्र में विशेष तैयारी होती है। साफ- सफाई, रौशनी की व्यवस्था होती है। फूलमाला से पूरे कुंड क्षेत्र को सजाया जाता है।

      छठव्रती सूर्य कुंड के जल से खरना का प्रसाद बनाती हैं। छठ के दिन संध्या में अर्ध्य के बाद गंगा आरती की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।

      राजगीर नगर परिषद की ओर से छठ पर्व से पहले कुंड परिसर की विशेष साफ-सफाई का निर्देश दिया गया है। वहीं पुलिस-प्रशासन ने संभावित भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किये जाएंगे।

      देवी देवताओं के लिए बनी थी 22 कुंड व 52 धाराएं: कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा के परपौत्र राजा बसु ने अपने महायज्ञ के दौरान जब भगवान ब्रह्मा से निवेदर कर देवी-देवताओं के स्नान व पूजा पाठ करने की व्यवस्था करने को कहा था।

      उसी समय राजगीर की पंच वादियों के बीच यहां 22 कुंड व 52 धाराओं की उत्पत्ति हुई थी। इन्हीं 22 कुंडों में एक सूर्य कुंड भी है। सूर्य कुंड की उत्पत्ति के बाद से ही राजा-महाराजों सहित देवी देवाताओं ने यहां भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करनी शुरू की। जो आज तक अनवरत रूप से चला आ रहा है।

      सबसे बड़ी बात यह कि गरम पानी युक्त सूर्य कुंड सूबे में कहीं नहीं है। यह कुंड गरम पानी का एकलौता कुंड है।

      यहां पर छठ पूजा करने वाले व्रती भगवान भास्कर के अर्घ्यदान के पहले चंद्रमा कुंड में स्नान करन के बाद ही सूर्य कुंड में स्नान कर अर्घ्य अर्पित करते हैं। ऐसा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है।

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