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सिर्फ कागज पर रेफरल अस्पताल में परिवर्तित हुआ चंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र !

चंडी (नालंदा दर्पण)। चंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कई वर्ष पहले विलोपित कर रेफरल अस्पताल में शामिल कर दिया गया है। इसके बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर से लेकर आदेशपाल तक की पोस्टिंग नहीं की जा रही है।

सबसे बड़ी विडम्बना है कि रेफरल अस्पताल में प्रसव कराने आने वाली महिला का पंजीयन रेफरल अस्पताल में ऑनलाइन किया जाता है। बच्चा जन्म रेफरल अस्पताल में लेता है, लेकिन जन्म लिये बच्चा का जन्म प्रमाण पत्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बनता है, जो सरकार के पत्र के अनुसार कब का विलोपित हो चुका है।

बिहार सरकार के पत्र के अनुसार वित्तीय वर्ष 2005-06 में राज्य के चौदह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पूर्व से सृजित पदों को प्रत्यार्पण करते हुए शून्य के व्यय पर गैर योजना अंतर्गत पंद्रह नवनिर्मित रेफरल अस्पतालों और उनके कुल 360 स्थायी पदों का 1 मार्च 2005 से सृजन की घटनोत्तर स्वीकृति राज्य सरकार ने प्रदान की है। इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चंडी भी है।

इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के विलोपन, पद एवं राशि प्रत्यर्पण के फलस्वरूप नवनिर्मित रेफरल अस्पताल में पद और राशि की स्वीकृति प्रदान की गयी थी। जिसमें डॉक्टर चार, परिचारिका ए चार, एक्सरे टेक्नीशियन एक, प्रयोगशाला प्रावैधिकी एक, फार्मासिस्ट एक, भंडारपाल एक, लिपिक एक, शल्य कक्ष सहायक एक, परिधापक एक, चालक एक, पुरुष कक्ष सेवक एक, महिला कक्ष सेवक एक, झाडू कक्ष एक, आदेशपाल, एक रसोइया , एक चौकीदार समेत सोलह पद सृजित किया गया था। जिसमें कई पद आज भी खाली पड़ा है।

उपेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा सूचना के अधिकारी के तहत रेफरल अस्पताल से सूचना मांगने पर जो जवाब मिला है वह चौंकाने वाला है। जन्म प्रमाण पत्र तथा कोल्ड चैन हैंडलर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है।

यहां ओपीडी, इमरजेंसी, एक्सरे, यक्ष्मा कक्ष, प्रयोगशाला कक्ष, दंत चिकित्सा कक्ष, परिवार नियोजन परामर्शी कक्ष, लेबर रूम, शल्य कक्ष, टीकाकरण कक्ष, दवा वितरण कक्ष, दवा भंडार कक्ष सभी रेफरल अस्पताल में चल रहा है।

जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नियमित स्थापना अंतर्गत पदस्थापित दो डॉक्टर डा. परमेश्वर प्रसाद, डा. संतोष कांत, एक लिपिक, एक एलटी, दो एएनएम, एक चालक तथा चार चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी पदस्थापित है।

चंडी वासियों का कहना है कि जब रेफरल अस्पताल की नींव रखी गयी थी, तब लगा था कि अस्पताल चालू होने के बाद सारी सुविधा उपलब्ध होगी। इलाज के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। रेफरल अस्पताल में डॉक्टर की कमी के कारण इलाज कराने आये मरीजों को निराशा हाथ लगती है।

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