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    Saturday, September 7, 2024
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      जब 35 साल पहले राम मंदिर निर्माण के लिए चंडी से अयोध्या गई थी 336 शिलापूजन

      चंडी (नालंदा दर्पण)। 22 जनवरी,2024 अयोध्या ही नहीं, देश के लिए एक ऐतिहासिक दिवस साबित होने जा रहा है। भव्य रामलला की मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। अयोध्या में एक बार फिर दीपावली जैसा उत्सव मनाने की तैयारी चल रही है।

      सोमवार को  रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिये 35 साल बाद वह दिन और घड़ी आ गई है जहां करोड़ों भारतीयों की आस्था और श्रद्धा के सपने पूरे होने जा रहा है। 22 जनवरी ,2024 अयोध्या के लिये एक बार फिर से ऐतिहासिक दिन साबित होने वाला है। शायद यह दिन इतिहास की तारीख पर अपना नाम करने या इतिहास को बदलने का इरादा भी हो सकता है।

      35 साल पहले भी राममंदिर निर्माण के लिए एक बड़ा जन आंदोलन पूरे देश में हुआ था। दो लाख गांव से मंदिर निर्माण के लिए ईटें और चंदा गया था। पूरा देश राममय बना हुआ था। लग रहा था अब राममंदिर का निर्माण हो जाएगा। देश में रामराज्य आ जाएगा।

      कुछ ऐसा ही उत्सवी महौल था अयोध्या से सैकड़ों किलोमीटर दूर बिहार के नालंदा जिला के चंडी प्रखंड में। जहाँ राम मंदिर निर्माण के लिए जुलूस निकाला जा रहा था। पूजा-पाठ ,हवन, कथा कीर्तन ,अखंड चंदा सब कुछ चल रहा था। जैसे लग रहा था देश एक बार फिर आजादी की लड़ाई में शामिल है। राम मन्दिर निर्माण और कार सेवक के रूप में चंडी भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा था।

      अक्टूबर-नबबंर, 1989 श्रीराम लोक संघर्ष समिति के बिहार संयोजक कामेश्वर चौपाल के नेतृत्व में बिहार ही नहीं, पूरे देश में राम मंदिर के लिए जन आंदोलन चल रहा था। चंडी प्रखंड में भी इसका असर देखने को मिल रहा था।

      अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चंडी में विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष बापू हाईस्कूल के रिटायर्ड प्रधानाध्यापक स्व. ठाकुर प्रसाद के नेतृत्व में राम मंदिर निर्माण के लिए जन आंदोलन चलाया गया।

      सचिव सुखदेव प्रसाद, साधु प्रसाद, केदारनाथ पांडेय, टुन्ना प्रसाद, नवल प्रसाद, मुनेश्वर प्रसाद, चंद्र मौली शर्मा, मनोज कुमार सिन्हा सहित सैकड़ों लोग राममंदिर निर्माण के लिए जनसंपर्क चलाकर चंदा इकट्ठा करना शुरू किया।

      राममंदिर निर्माण के लिए चंडी में अहम् भूमिका निभाने वाले सचिव सुखदेव प्रसाद 35 साल पहले की घटना को याद करते हुए बताते हैं कि पूरे प्रखंड में एक उत्सवी महौल और उत्साह था। पूरे गांव में हमलोग घूम घूमकर राम मंदिर के लिए जागरूकता चला रहे थे। गांवो में राम मंदिर को लेकर जबरदस्त समर्थन मिल रहा था।

      राम मंदिर निर्माण को लेकर पूजा-पाठ, हवन चल रहा था। बापू हाईस्कूल के मैदान में 1989 में 72 घंटे का अखंड-कीर्तिन का आयोजन किया गया था। जिसमें 50-60 गाँव से कीर्तन मंडली गाजे-बाजे के साथ पहुंची थी। वातावरण रामधून से गुंजायमान हो रहा था। प्रसाद वितरण किये जा रहे थे, यज्ञ किये जा रहे थें। गंगाजल मंगाकर पादुका पूजन चल रहा था। 336 शिला पूजन कराकर अयोध्या ले जाया गया।

      सुखदेव प्रसाद बताते हैं कि 25 हजार 787 रूपये चंदा के रूप में आया था, जिसे चेक के माध्यम से राम मंदिर के लिए दान दिया गया।

      चंडी प्रखंड से राम मंदिर निर्माण के लिए 336 शिलापूजन दान में अयोध्या ले जाया गया। जिसमें सुखदेव प्रसाद, पड़री के टुन्ना प्रसाद और गायत्री परिवार के नवल प्रसाद अयोध्या जाने वालों में शामिल थें।

      9 नबबंर,1989 को श्रीराम लोक संघर्ष समिति के बिहार संयोजक कामेश्वर चौपाल ने विधिवत पूजा कर राम मंदिर निर्माण के लिए शिलापूजन की आधारशिला रखी थी। इस राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान सैकड़ों लोग गिरफ्तार कर लिये गये और जेल में डाल दिये गये।

      चंडी से भी बड़ी संख्या में कार सेवक अयोध्या के लिए निकले थे। इस आंदोलन के दौरान चंडी से सुखदेव प्रसाद और साधुशरण प्रसाद दोनों को रास्ते में गिरफ्तार कर लिये गया था। जहाँ साधुशरण प्रसाद को चार दिन बाद छोड़ दिया गया था। लेकिन सुखदेव प्रसाद दो महीने जेल में रहें।

      भले ही एक बार फिर से पीएम नरेन्द्र मोदी के द्वारा राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा किया जा रहा है। लेकिन 35 साल पहले इसी राम मंदिर निर्माण के लिए किये गये संघर्ष को भूलाया नहीं जा सकता है।

      राम मंदिर निर्माण में अपना योगदान देने वाले लोगों में ठाकुर प्रसाद, साधुशरण प्रसाद, टुन्ना प्रसाद, नवल प्रसाद और वीरेंद्र कुमार सिन्हा आज जीवित नहीं है। आज ये जीवित होते तो अपने सफने को साकार होते जरूर देखते !

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