भ्रष्टाचारनालंदाबिग ब्रेकिंगबिहार शरीफशिक्षा

बिहारशरीफ सोगरा कॉलेज: नहीं थम रहा छात्रा की नियुक्ति और वित्तीय गड़बड़ी का विवाद

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के प्रतिष्ठित बिहारशरीफ सोगरा कॉलेज में एक छात्रा की नियुक्ति और कॉलेज प्रशासन की कार्यशैली को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इस प्रकरण ने न केवल कॉलेज प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि वित्तीय अनियमितताओं की ओर भी इशारा किया है।

बता दें कि यह विवाद तब शुरू हुआ, जब सोगरा वफ्फ स्टेट के उपाध्यक्ष सुल्तान अंसारी की अनुशंसा पर कॉलेज में पढ़ने वाली एक छात्रा को नौकरी दी गई। अंसारी ने अपने पत्र में छात्रा को ‘पढ़ाई-लिखाई में दक्ष और हर काम करने में सक्षम’ बताया था। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि छात्रा को किस पद के लिए दक्ष बताया गया था।

कॉलेज प्रशासन ने इस अनुशंसा को बिना किसी उचित जांच-पड़ताल के मान लिया और छात्रा को बहाल कर लिया। लेकिन विवाद तब और बढ़ गया, जब यह खुलासा हुआ कि नियुक्ति प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां थीं।

इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने दावा किया कि छात्रा को नौकरी से हटा दिया गया है। लेकिन कहते हैं कि अभी तक कोई आधिकारिक आदेश या प्राचार्य का पत्र जारी नहीं हुआ है, जो इस दावे की पुष्टि कर सके।

कॉलेज के सचिव मोहम्मद शहाब उद्दीन ने स्वीकार किया कि छात्रा ने तीन महीने तक काम किया और उसे वेतन भी दिया गया। लेकिन जब यह पता चला कि वह कॉलेज की ही छात्रा है तो उसे हटाने और वेतन की राशि वापस करने का निर्देश दिया गया। अब तक न तो छात्रा ने राशि लौटाई है और न ही उसे औपचारिक रूप से हटाया गया है।

इस विवाद ने तब और तूल पकड़ लिया, जब भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष इस्तेयाक रजा ने कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य मोहम्मद जमाल अहमद पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्राचार्य ने कॉलेज के खाते से छात्रा के बैंक खाते में ₹10,000 प्रति माह स्थानांतरित किए। इसके अलावा उन्होंने कॉलेज परिसर में नियमों के विरुद्ध लाखों रुपये खर्च कर निर्माण कार्य कराए। यह आरोप कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

सोगरा कॉलेज वफ्फ स्टेट के अंतर्गत आता है, जिसका प्रशासन लंबे समय से विवादों में रहा है। वफ्फ स्टेट के पदेन अध्यक्ष जिलाधिकारी हुआ करते थे, लेकिन अब यह पद स्वयंभू अध्यक्षों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। आरोप है कि कुछ लोग वफ्फ स्टेट को अपनी निजी जागीर मानकर मनमानी कर रहे हैं।

इस मामले को लेकर एखलाक अहमद ने लोक शिकायत निवारण कार्यालय में आवेदन दिया है और पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

सूत्रों के अनुसार पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की एक टीम ने सोगरा कॉलेज की जांच की और 13 बिंदुओं पर दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था। लेकिन 28 नवंबर की समयसीमा बीतने के बावजूद कॉलेज प्रशासन ने अब तक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं।

बहरहाल यह पूरा विवाद न केवल सोगरा कॉलेज की साख पर बट्टा लगा रहा है, बल्कि उच्च शिक्षा में पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े कर रहा है। कॉलेज में जारी विवाद ने छात्रों और स्थानीय नागरिकों को निराश किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!
शांति और ध्यान का अद्भुत अनुभव बोधगया वैशाली का विश्व शांति स्तूप विक्रमशिला विश्वविद्यालय के बहुरेंगे दिन राजगीर सोन भंडारः दुनिया का सबसे रहस्यमय गुफा