“इस मामले से जुड़े कई रोचक और गंभीर पहलु सामने आए है। ऐसी कथित संवेदनशील घटना मंगलवार की बताई जाती है। और इस मामले के दूसरे दिन बाजाप्ता एक वीडियो बनाकर सुनियोजित तरीके से मीडियो को वायरल की जाती है। स्कूल की प्रभारी, अन्य शिक्षक या पंचायत प्रतिनिधि या फिर किसी जिम्मेवार ग्रामीण द्वारा इसकी सूचना मौके पर विभागीय या प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी को नहीं दी जाती है। उन्हें स्कूल की प्रभारी प्रधान द्वारा मामले के तीसरे दिन सूचित किया जाता है…”
नगरनौसा (नालंदा दर्पण)। खबरों के मुताबिक नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड अवस्थित राजकीय मिडिल स्कूल अकैड़ में मंगलवार को ही एक एनजीओ एकता फाउंडेशन द्वारा पहुंचाए गए मध्यान भोजन में मरा हुआ बिच्छू पाया गया।
कहते हैं कि मंगलवार की दोपहर जब रसोइया द्वारा बच्चों को भोजन परोसा जा रहा था, उसी दौरान उसकी नज़र भोजन में मृत बिच्छू पर पड़ी। इसके बाद बच्चे हो-हल्ला करने लगे। सूचना मिलते ही ग्रामीण भी स्कूल पहुंच गए।
बकौल प्रभारी प्रधानाध्यापक चंद्रप्रभा कुमारी, उन्हें रसोईया ने भोजन में मृत बिच्छू होने की जानकारी दी। बिच्छू काफी छोटा था। जिसे उन्होंने भी देखा। बच्चों को भोजन परोसने से पहले उन्होंने स्वयं और रसोइया द्वारा चखा था।
मृत बिच्छू आधा की संख्या में बच्चों के भोजन करने के बाद मिली थी। स्कूल अवधि तक किसी बच्चे में कोई शिकायत नहीं मिली। कई बच्चों ने भी भोजन में बिच्छू मिलने की पुष्टि की।
विद्यालय की सचिव शोभा देवी ने बताया कि उनके पुत्र नीरज कुमार व पुत्री स्मृति कुमारी विद्यालय में पढ़ती है। घर आने पर तबियत खराब रहने की शिकायत की। जिसे इलाज के लिए स्थानीय क्लीनिक में भर्ती कराया।
उधर, एकता शक्ति फाउंडेशन प्रबंधक का कहना है कि भोजन में मृत बिच्छू पाया जाना एक जांच का विषय है। एनजीओ द्वारा 200 से अधिक विद्यालय में खाना सप्लाई किया जाता है। प्रत्येक केन की सफाई के बाद कपड़ा से साफ कर खाना पैक किया जाता है।
सवाल उठता है कि लापरवाही किसी की भी हो या षडयंत्र किसी भी स्तर से रचा गया हो, यदि भोजन में बिच्छू जैसे घातक जीव मिले थे तो तत्काल उसकी सूचना स्थानीय शिक्षा विभाग या प्रशासनिक विभाग को क्यों नहीं दी गई।
मामले के दूसरे दिन स्कूल के बच्चों-शिक्षकों का वीडियो बना कर वायरल करने के क्या मायने समझा जाए। वह भी तब, जब स्कूल ने मिड डे मिल भोजन लेने से इंकार कर दिया और उसके बाद सुनियोजित तरीके से वीडियो बनाकर वायरल करवाया।
उसी आधार पर तीसरे स्थानीय अखबारों में तिल का ताड़ करते हुए बड़ी-बड़ी खबरें परोसी गई। सभी अखबारों में खबर भी ऐसी कि मानों एक की लिखी खबर को सबने छापी हो।
वायरल वीडियो को गौर से देखने-सुनने के बाद साफ प्रतीत होता है कि शिक्षकों ने ही बच्चों की ढाल खड़ा कर वीडियो को शूट करवाया और उसे एक सुनियोजित तरीके से वायरल करवाया।
उसके साथ एक कथित बिच्छू के पिछले भाग के हिस्सा का अस्पष्ट फोटो भी जारी किए गए।
प्राप्त वीडियो के बाद स्थानीय मीडियाकर्मी संबंधित अधिकारियों से जानकारी मांगते हैँ। जाहिर है कि जब उन्हें किसी स्रोत से सूचना ही नहीं मिली तो वे अनभिज्ञता ही प्रकट करेंगे।
बात जहां मिड डे मिल सप्लाई करने वाली एकता फाउंडेशन की है तो शुरुआती दिनों से ही यह चर्चाओं में रहा है। इस संस्था द्वारा बच्चों को भोजन सप्लाई के सकारात्मक पहलु भी हैं। स्कूलों के शिक्षकों को पढ़ाई-लिखाई छोड़ भोजन बनाने के झंझट से मुक्ति मिली है।
यह दीगर बात है कि स्कूलों को सीधे भोजन बनाकर खिलाने के कार्यमुक्ति से उनकी काली कमाई बंद हुई है। हालांकि प्रायः स्कूल के प्रभारी अभी भी एकता फाउंडेशन प्रबंधन से अंदरुनी सांठगांठ कर बच्चों की उपस्थिति में हेरफेर कर अपना उल्लु सीधा कर ही जाते हैं।
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