बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ नगर के बीचोबीच रांची रोड स्थित करीब छह एकड़ के बड़े भू-भाग में सरकारी बस डीपो की सूरत अवैध पार्किंग ने बिगाड़ दी है। आस-पास के कुछ लोगों द्वारा सुबह से देर रात तक गैराज के वाहन, एंबुलेंस, निजी वाहनों के साथ अस्थायी व स्थायी दुकानें डीपो में पहले से स्थापित कर लिया गया है।
फिलहाल कुछ दिनों से यहां भवन निर्माण सामग्रियां बालू व गिट्टी का ढेर भी लगने लगा है। ढलते शाम से देर रात तक असमाजिक तत्वों की बैठक लगता है, जिन्हें कभी- कभी सिगरेट से लेकर अन्य नशा का भी सेवन करते देखे जाते हैं।
वर्तमान में सुरक्षा और सुविधा के अभाव में सबसे अधिकारी महिला राहगीरों को परेशानी उठानी पड़ती है। डीपो के कर्मचारी कई बार स्थानीय थाना पुलिस को यहां की सुरक्षा और अवैध पार्किंग को लेकर लिखित शिकायत भी दर्ज करायी है, लेकिन विभाग और जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण रांची रोड स्थित सरकारी बस डीपो दिन व दिन बदहाल होती जा रही है।
आस पास के वाहन, दुकान के सामग्रियां और भवन निर्माण सामग्रियां रखने के कारण डीपो के बस को आने-जाने में दिक्कत होती है। यात्रियों के बैठने को जगह नहीं मिलते हैं।
असमाजिक तत्व की गतिविधियों से महिला यात्री असहज महसूस करती हैं। बस डीपो का चारों ओर का बाउंड्री एक साल से ध्वस्त है, जिससे सरकारी बस डीपो असमाजिक बैठका और अवैध पार्किंग बनकर रह गया है।
इतना ही नहीं वर्षों पहले सरकारी तंत्र की सुरक्षा और व्यवस्थित करने वाले प्रशासन ही चंद रुपये प्रति माह पर डीपो के आगे अस्थायी दुकान लगाने की अनुमति दे दी थी, जो आज डीपो के विस्तार में बाधक बन रहा है।
दूसरी ओर सरकारी बस डीपो में पीपीपी (प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशीप) मोड के तहत चार अलग-अलग निजी बसों के ठहराव करने की यहां व्यवस्था है, जिसके कर्मी सरकारी बसों की अपेक्षा अपने निजी बसों पर यात्रियों को बैठाने के लिए जोर देते हैं। पीपीपी मोड वाले बस के कर्मी आये दिन यात्रियों को यह कहकर सरकारी बस पर चढ़ने से रोकते देखे जाते हैं कि अभी उनके बस का समय है।
यहां से पटना, जमुई, बाढ़, नवादा, लक्खीसराय समेत पीपीपी मोड के दो दर्जन से अधिक बसे खुलते हैं, जिसके लिए हजारों लोगों को सरकारी बस डीपो में आना- जाना लगा रहता है। सैकड़ों दैनिक व सरकारी कर्मचारियों की पहली पसंद सरकारी बस सेवा है। फिर भी प्रशासन सरकारी बस डीपो की रख-रखाव पर गंभीरता नहीं दिखा रही है।
डीपो के पीछे का चहारदीवार पूरी तक ढह गया है, जो सुरक्षा के दृष्टि से बहुत घातक साबित हो सकता है। महिला और पुरुष के लिए सार्वजनिक शौचालय बनाया गया है, जिसपर कुछ खास लोगों ने ताला लगा रखा है।
इस संबंध में बस डीपो अधीक्षक अरुण कुमार का कहना है कि बस डीपो में सुरक्षा के लिए स्थानीय थाना व गश्ती पुलिस से कई बार गुहार लगायी गयी है। बस डीपो का बाउंड्री निर्माण के लिए विभागीय प्रक्रिया चल रही है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद निर्माण काम शुरू कर दिया जाएगा। अवैध पार्किंग हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन से मदद मांगी गई है।
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