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    Saturday, November 2, 2024
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      Avoid deadly dengue: जानलेवा डेंगू फैलने के कारण, लक्षण, बचाव और उपचार

      नालंदा दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। डेंगू बुखार मुख्यतः एडीज मच्छर (Avoid deadly dengue) के काटने से फैलता है। एडीज मच्छरों का प्रजनन आमतौर पर स्थिर पानी वाले स्थानों में होता है। यह मच्छर दिन के समय विशेष रूप से सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सबसे अधिक सक्रीय रहते हैं, जो कि डेंगू वायरस को फैलाने का मुख्य कारण बनता है।

      एडीज मच्छरों के प्रजनन स्थलों में पानी जमा होने के स्थान जैसे कि बाल्टियाँ, पुरानी टायरें, फूलदान और कूलर सबसे प्रमुख हैं। ऐसी जगहों पर पानी का ठहराव डेंगू वायरस के प्रसार को बढ़ावा देता है। इसके अतिरिक्त मच्छरों के प्रजनन के लिए आवश्यक नमी भी डेंगू फैलने का एक प्रमुख कारण है।

      गंदगी और अस्वच्छता भी डेंगू फैलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खराब कचरा प्रबंधन, स्वच्छता की कमी और दूषित वातावरण से मच्छरों के पनपने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा पॉलीथिन बैग्स और अन्य स्थिरता प्रदान करने वाली सामग्री भी जल जमा करने का साधन बनकर मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बन जाती हैं।

      डेंगू का वायरस संक्रमित व्यक्ति के खून में मौजूद होता है, और जब एडीज मच्छर ऐसे व्यक्ति को काटता है तो वह उस वायरस के वाहक बन जाता है। बाद में वही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है और उसे संक्रमित कर देता है।

      निष्क्रिय पानी वाले क्षेत्रों का अभाव और उचित स्वच्छता रखरखाव डेंगू के फैलाव को रोकने में सहायक हो सकता है। इसलिए, डेंगू से बचाव के लिए जरूरी है कि हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखें और जलभराव से बचें।

      पहचानें डेंगू के प्रमुख लक्षणः

      डेंगू बुखार के लक्षणों की पहचान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये रोग तेजी से गंभीर हो सकता है। डेंगू के प्रारंभिक लक्षणों में तेज बुखार शामिल होता है, जो अक्सर अचानक शुरू होता है और 104 डिग्री फारेनहाइट तक पहुँच सकता है। इसके साथ ही, रोगी को तीव्र सिरदर्द होने लगता है। विशेषकर सिर के पिछले हिस्से में।

      मांसपेशियों और जोड़ों में अत्यधिक दर्द एक अन्य प्रमुख लक्षण है। जिसे आम बोलचाल में “हड्डी तोड़ बुखार” के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा पेट दर्द व उल्टी भी प्रमुखत: देखी जा सकती है। इन लक्षणों के कारण रोगी कमजोरी महसूस करता है और उसका भूख कम हो जाती है।

      त्वचा पर लाल चकत्ते डेंगू के विशेष लक्षणों में गिने जाते हैं। ये चकत्ते अक्सर बुखार शुरू होने के 2 से 5 दिन बाद प्रकट होते हैं और यह पूरे शरीर पर फैल सकते हैं। चकत्तों के साथ कुछ मामलों में नाक, मसूड़ों या त्वचा से रक्तस्राव भी हो सकता है, जो डेंगू हेमोरहेजिक फीवर के संकेत करता है।

      डेंगू के लक्षण समय के साथ बदल सकते हैं और तीव्रता में वृद्धि या कमी आ सकती है। प्रारंभिक लक्षणों के 3 से 7 दिन बाद रोगी ठीक महसूस कर सकता है, लेकिन कुछ रोगियों में स्थिति गंभीर हो सकती है और बाद में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आ सकती है।

      यदि रोगी के लक्षण नियम से तीव्र होते हैं या उनमें कोई असामान्य बदलाव दिखाई देते हैं तो तुरंत चिकित्सा परामर्श लेना आवश्यक होता है। सही समय पर इलाज न कराने से यह रोग जानलेवा हो सकता है। इसलिए लक्षणों की पहचान और उन पर ध्यान देना अति महत्वपूर्ण है।

      समझें डेंगू से बचाव के तरीकेः

      डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए स्वच्छता और सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। सबसे पहले, अपने आसपास की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। कचरा समय से बाहर निकालें और पानी जमा होने वाले स्थानों को नियमित रूप से साफ करें। जलभराव वाले क्षेत्रों से मच्छरों की उत्पत्ति का जोखिम ज्यादा होता है, इसलिए कूलर, फूलदान और अन्य जलाशयों में पानी जमा न होने दें।

      मच्छरों से बचने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर कुछ उपाय जरूरी हैं। मच्छर रोधी स्प्रे या क्रीम का प्रयोग करें। विशेषकर शाम और रात के समय। घर में प्रवेश करने वाले मच्छरों को कम करने के लिए खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं। इसके अलावा पूरी बाजू के कपड़े पहनें जिससे त्वचा पर मच्छरों के संपर्क में कमी आ सके।

      सामुदायिक स्तर पर भी डेंगू से बचाव के उपायों का पालन किया जाना चाहिए। स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित रूप से फॉगिंग और मच्छर रोधी दवाओं का छिड़काव किया जाता है। इन अभियानों में सहभागिता दिखाएं और अपने आस-पास के लोगों को भी जागरूक करें। सामूहिक सफाई अभियानों में भाग लेकर अपने क्षेत्र को डेंगू मुक्त बनाने में सहयोग दें।

      व्यक्तिगत प्रयास भी महत्वपूर्ण हैं। अपने घर की साफ-सफाई के साथ-साथ पड़ोसियों को भी साफ-सफाई के महत्व के बारे में जागरूक करें। पानी के टंकी और अन्य जल स्रोतों को ढककर रखना चाहिए और समय-समय पर उनकी सफाई सुनिश्चित करें।

      इन उपायों को अपनाकर डेंगू से प्रभावी रूप से बचा जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि इन सब प्रयासों में निरंतरता बनाए रखना आवश्यक है। सामुदायिक और व्यक्तिगत स्तर पर जागरूकता और जिम्मेदारी दिखाकर ही डेंगू पर काबू पाया जा सकता है।

      डेंगू के उपचार के विकल्पः

      डेंगू बुखार का समय पर और सही उपचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रोग तेजी से गंभीर रूप धारण कर सकता है। जैसे ही डेंगू के प्रारंभिक लक्षण प्रकट होते हैं- जैसे तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द आदि तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है। चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण और निदान के बाद उचित उपचार शुरू किया जाता है।

      डेंगू के गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होना निर्भर चिकित्सक की सिफारिश पर हो सकता है। अस्पताल में मरीज की पूर्ण देखभाल की जाती है। जिससे धैर्यपूर्वक उनकी स्थिति में सुधार आता है। इसके साथ ही हाइड्रेशन (शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा बनाए रखना) महत्वपूर्ण होता है। पेट में दर्द, उल्टी, दस्त और उच्‍चार की स्थिति में रोगियों को आईवी फ्लूइड्स द्वारा हाइड्रेट किया जाता है।

      दर्द और बुखार निवारक दवाओं जैसे पारासिटामोल का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन एस्पिरिन और नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स से परहेज करना चाहिए, क्योंकि वे खून बहने की समस्या को बढ़ा सकते हैं। डॉक्टर की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।

      डेंगू के उपचार में कुछ घरेलू उपाय भी सहायक हो सकते हैं। जैसे कि पपीते के पत्तों का रस सेवन करना, तुलसी का काढ़ा और नारियल पानी पीना। यह उपाय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं और तेजी से उबरने में सहयोग करते हैं।

      साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना महत्वपूर्ण होता है। फल, हरी सब्जियां और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ रोगी के शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं। संतुलित आहार और पर्याप्त विश्राम से मरीज शीघ्रता से ठीक हो सकता है। कुल मिलाकर सही चिकित्सा परामर्श, उपचार और स्वयं देखभाल से डेंगू प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।

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