“नालंदा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने के लिए प्रशासन को और कठोर कदम (Big CS action) उठाने की जरुरत है। इस समस्या का समाधान नहीं होने से आम जनता को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। Big CS action: नालंदा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में लापरवाह डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की गैरहाजिरी लगातार बनी हुई है। प्रशासन की तमाम सख्ती के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है।
स्वास्थ्य विभाग ने इस बार कड़ा कदम उठाते हुए 19 डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएस) डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि बिहारशरीफ, अस्थावां और गिरियक प्रखंड के 7 स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान चार स्वास्थ्य केंद्र एपीएचसी धनुकी, गाजीपुर, सकरौल और एचएससी बेलछी पूरी तरह बंद पाए गए। इन केंद्रों के मुख्य द्वार पर ताले लटके मिले।
हालांकि स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति कोई नई बात नहीं है। दो महीने पहले भी लगातार निरीक्षण और कार्रवाई के बावजूद स्थिति में मामूली सुधार ही देखा गया था। लेकिन अब फिर से गैरहाजिरी का दौर शुरू हो गया है। इस लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी निजी क्लीनिक या झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है।
कहा जाता है कि स्वास्थ्य विभाग ने कर्मचारियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए फेस रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) लागू किया था। इसके तहत कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल से ही उपस्थिति दर्ज करनी होती थी। लेकिन पिछले 15 दिनों से यह सिस्टम तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़ा है। इसका फायदा उठाकर स्वास्थ्य कर्मी अपनी मर्जी से हाजिरी दर्ज करा रहे हैं और हफ्ते में महज 1-2 दिन ही आ रहे हैं।
सीएस डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि डॉक्टरों और कर्मचारियों के साथ-साथ संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के मेडिकल ऑफिसर इन चार्ज (एमओआईसी) को भी दोषी माना गया है। नियमित निरीक्षण नहीं करने के कारण इन अधिकारियों पर भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
सीएस ने स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी लगातार ड्यूटी से गायब रहेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पहले भी कुछ स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन रोका गया था और उन्हें उपस्थिति सुधारने के निर्देश दिए गए थे। जिसके बाद उनका वेतन पुनः चालू किया गया था। लेकिन इस बार दोषियों को कोई राहत नहीं दी जाएगी। स्वास्थ्य केंद्रों में व्यवस्था सुधारने के लिए विभागीय स्तर पर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
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