पटना (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी विद्यालयों (प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, संस्कृत विद्यालय, मदरसा विद्यालय) के लिए एक नई समय सारणी जारी की है, जो 1 दिसंबर 2024 से प्रभावी होगी।
इस मॉडल टाइम-टेबल के तहत विद्यालयों में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल-कूद, संगीत, नृत्य, और पेंटिंग जैसी गतिविधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
विद्यालयों के समय की नई व्यवस्थाः सभी विद्यालयों का संचालन अब सुबह 9:30 बजे से शुरू होगा, जिसमें 9:30 से 10:00 बजे तक प्रार्थना सभा का आयोजन होगा। इस दौरान बच्चों का गेट अप, पोशाक, बाल और नाखूनों की जांच भी शिक्षकों द्वारा की जाएगी।
इसके बाद राष्ट्रगान और सामान्य ज्ञान से जुड़ी गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को मानसिक रूप से जागरूक करने पर जोर दिया जाएगा। प्रार्थना सभा में सभी शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मियों की अनिवार्य उपस्थिति होगी।
नियमित घंटियों का निर्धारणः विद्यालय में कुल आठ घंटियों का समय निर्धारित किया गया है। प्रत्येक घंटी 40 मिनट की होगी, जिसमें विभिन्न विषयों की कक्षाएं संचालित की जाएंगी। साथ ही 12:00 बजे से 12:40 बजे तक मध्यान्ह भोजन (MDM) और मध्यांतर का समय निर्धारित किया गया है।
खेलकूद और सृजनात्मक गतिविधियों पर जोरः विद्यालय में एक घंटी खेलकूद, संगीत, नृत्य और पेंटिंग जैसी सृजनात्मक गतिविधियों के लिए निर्धारित की गई है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी वर्गों के लिए अलग-अलग समय पर इन गतिविधियों का संचालन हो। ताकि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा मिल सके। शनिवार को विद्यालय में “बैगलेस सुरक्षित शनिवार” का आयोजन होगा, जिसमें कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए विभिन्न सृजनात्मक और खेलकूद गतिविधियाँ होंगी।
अभिभावकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनः महीने में एक शनिवार को विद्यालय में अभिभावकों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी, जिससे उनके बच्चों की प्रगति पर चर्चा की जा सके। जिस महीने में पाँचवां शनिवार होगा, उस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। जिसमें बच्चों द्वारा निर्मित सामग्रियों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान शिक्षकों द्वारा बच्चों का मूल्यांकन भी किया जाएगा।
विशेष निर्देश और सफाई पर ध्यानः सभी शिक्षक कमजोर छात्रों को कक्षा में आगे की पंक्तियों में बैठाने का प्रयास करेंगे। प्रधानाध्यापक विद्यालय की दिनचर्या और पाठ्यक्रम की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा विद्यालय परिसर, वर्गकक्ष, रसोईघर और शौचालयों की नियमित सफाई का निरीक्षण भी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी होगी।
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