बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग ने दशहरा के पहले सरकारी स्कूली शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण सौगात (Bihar Teacher Transfer Policy) की घोषणा की है, जिससे राज्य के शिक्षक वर्ग में उत्साह की लहर दौड़ गई है। लंबे समय से ट्रांसफर पॉलिसी की मांग कर रहे शिक्षकों के लिए यह राहत की खबर है। शिक्षा विभाग ने नई ट्रांसफर पॉलिसी को जारी किया है। जिसमें बीपीएससी से नियुक्त, सक्षमता परीक्षा पास नियोजित और पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों को स्थानांतरण का अधिकार मिल सकेगा।
इस नीति का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को उनके गृह जिलों के निकट नौकरी का अवसर प्रदान करना है। हालांकि यह पॉलिसी स्थानीय निकायों से नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होगी। इसका मतलब है कि सिर्फ बीपीएससी, सक्षमता परीक्षा पास और पुराने वेतनमान वाले शिक्षक इस सुविधा का लाभ उठा पाएंगे।
शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। ट्रांसफर के लिए दस विकल्प दिए जाएंगे। इससे शिक्षकों को अपने पसंदीदा स्थानों का चयन करने की सुविधा मिलेगी। पांच वर्षों के लिए की जाने वाली पोस्टिंग से शिक्षक अब बार-बार ट्रांसफर की अस्थिरता से बच सकेंगे।
हालांकि, दिव्यांग और गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों को पांच वर्षों के पहले भी ट्रांसफर का अवसर मिलेगा। ट्रांसफर के मामले में दिव्यांग और बीमार शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि उनके स्वास्थ्य और परिवारिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा सके।
महिला शिक्षकों और विशेष श्रेणी के लिए विशेष प्रावधान: महिला शिक्षकों के लिए भी यह नीति लाभकारी साबित होगी। विधवा, तलाकशुदा और दिव्यांग महिला शिक्षकों को गृह पंचायत और नगर निकाय के निकट पोस्टिंग के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा किसी विद्यालय में महिला शिक्षकों की संख्या 70% से अधिक नहीं हो सकेगी, जिससे संतुलन बनाए रखा जा सकेगा।
नियमितीकरण और अनुशासनिक मुद्दों का समाधान: इस नीति के अंतर्गत विवादित शिक्षकों का अंतर जिला ट्रांसफर भी सुनिश्चित किया गया है। यदि किसी शिक्षक पर स्थानीय राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्तता, वित्तीय अनियमितता, या नैतिकता से जुड़ी गंभीर शिकायतें हैं तो उन्हें छात्र हित में जिला से बाहर ट्रांसफर किया जाएगा। इससे विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने और छात्र हित की रक्षा करने का प्रयास किया गया है।
नए सॉफ्टवेयर के साथ पारदर्शिता: ट्रांसफर प्रक्रिया को डिजिटल रूप में करने के लिए विभाग एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है। इससे न केवल पारदर्शिता आएगी, बल्कि ट्रांसफर और पोस्टिंग की प्रक्रिया तेज और सरल भी होगी। रिक्तियों की गणना ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’, छात्र-शिक्षक अनुपात और आधारभूत संरचना की उपलब्धता के आधार पर की जाएगी।
संभावित चुनौतियाँ और आगे की राह: हालांकि इस नीति से कई शिक्षक लाभान्वित होंगे, लेकिन स्थानीय निकाय के शिक्षकों को इससे बाहर रखे जाने पर कुछ असंतोष भी उभर सकता है। साथ ही ट्रांसफर और पोस्टिंग की जटिलताएं और सॉफ्टवेयर के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करना भी सरकार के लिए एक चुनौती हो सकती है।
बहरहाल, शिक्षा विभाग की यह नई ट्रांसफर पॉलिसी शिक्षकों के लिए एक बड़ा कदम है, जो दशकों से मांग की जा रही थी। यह नीति न केवल शिक्षकों को गृह जिले के निकट नौकरी करने का मौका देगी, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता और अनुशासन को भी बढ़ावा देगी।
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