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    Wednesday, March 26, 2025
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      नालंदा स्वास्थ्य विभाग का यह ‘घाघ क्लर्क’ हुआ सस्पेंड, FIR का आदेश

      नालंदा स्वास्थ्य विभाग का यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गड़बड़ी तक सीमित नहीं है। बल्कि यह पूरे अस्पताल तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। अब देखना यह होगा कि जांच समिति कितनी पारदर्शिता से काम करती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है…

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा स्वास्थ्य विभाग में सरकारी धन के ग़बन मामले में  बिहारशरीफ सदर अस्पताल के लिपिक पंकज कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। सिविल सर्जन डॉ. जितेन्द्र प्रसाद ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश भी जारी किया है।

      बता दें कि यह मामला फरवरी माह में टीडीएस कटौती की जांच के दौरान सामने आया। जिसके बाद जब विस्तृत जांच की गई तो राजगीर, सरमेरा और सदर अस्पताल में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ।

      जांच में पाया गया कि पंकज कुमार ने अपने अलावा अन्य कर्मियों को भी अवैध तरीके से अतिरिक्त भत्ते दिलाए। इतना ही नहीं राजगीर अस्पताल में लाखों की अस्पताल सामग्री एवं पुराना सामान बेचने का भी मामला सामने आया है। इस घोटाले का अनुमानित आंकड़ा 10 से 15 लाख रुपये तक पहुंच सकता है।

      जांच अधिकारियों के अनुसार यह गड़बड़ी सिर्फ एक अस्पताल तक सीमित नहीं थी। राजगीर (2018-मार्च 2022), सरमेरा (अप्रैल 2022-2024) और बिहारशरीफ सदर अस्पताल (जुलाई 2024 से अब तक) में तैनाती के दौरान पंकज कुमार ने फर्जीवाड़ा किया।

      सिविल सर्जन ने कहा कि इस मामले में अन्य कर्मियों के भी शामिल होने की पुष्टि हुई है। पंकज कुमार इन कर्मियों से मोटी रकम वसूलकर उन्हें लाभ पहुंचा रहा था। जांच के दौरान दोषी पाए जाने पर अन्य कर्मियों पर भी सख्त कार्रवाई होगी।

      इसके अलावा निलंबित लिपिक ने सदर अस्पताल के तत्कालीन उपाधीक्षक से मिलीभगत कर जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का पूरा अधिकार अपने हाथ में ले रखा था। इस प्रक्रिया में वह लोगों से अवैध वसूली कर रहा था। कई प्रसूता महिलाएं और उनके परिजन इसके खिलाफ शिकायत कर चुके हैं। लेकिन प्रभाव के चलते वह अब तक बचता रहा।

      अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे हैं। हर वार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन कभी फुटेज की समीक्षा नहीं करता।

      कैमरा स्क्रीन उपाधीक्षक कार्यालय में लगा हुआ है। लेकिन कोई अधिकारी यह देखने की जहमत नहीं उठाता कि रात में अस्पताल में क्या हो रहा है। कौन-सा डॉक्टर और नर्स ड्यूटी पर तैनात हैं और मरीजों को सही इलाज मिल रहा है या नहीं।

      मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि अस्पताल कर्मियों में लापरवाही और मनमानी चरम पर है। डॉक्टर और नर्स ड्यूटी के दौरान मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। कुछ नर्सें फोन पर बातें करती रहती हैं तो कुछ कानों में हेडफोन लगाए रहती हैं। जिससे मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पाता।

      अस्पताल में अनियमितताओं को देखते हुए लोगों ने मांग की है कि सीसीटीवी कैमरों का लाइव स्क्रीन अस्पताल के कैंपस में लगाया जाए। इससे परिजन देख सकेंगे कि कौन-सा डॉक्टर या नर्स ड्यूटी कर रहा है और कौन लापरवाही बरत रहा है। जनता का मानना है कि अगर पारदर्शिता बढ़ाई जाए तो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है।

      फिलहाल पंकज कुमार का निलंबन हो चुका है और उसे वेन प्रखंड मुख्यालय में भेजा गया है। जांच समिति अन्य कर्मियों की भूमिका की भी पड़ताल कर रही है। यदि वे दोषी पाए जाते हैं तो उन पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं अस्पताल प्रशासन पर भी लापरवाही और मिलीभगत के आरोप लगे हैं। जिसकी स्वतंत्र जांच की मांग उठ रही है।

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