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    Wednesday, March 26, 2025
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      नालंदा में सामने आया अजीबोगरीब बेंच डेस्क आपूर्ति घोटाला, FIR का आदेश

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक नया और चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय देकपुरा रहुई में बेंच डेस्क आपूर्ति में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है, जहां दो अलग-अलग एजेंसियों ने एक ही स्कूल में बेंच-डेस्क की आपूर्ति का दावा करते हुए फर्जी बिलों के जरिए दोहरा भुगतान प्राप्त किया।

      इस मामले की शुरुआत तब हुई जब विद्यालय में 117 बेंच-डेस्क सेट की आपूर्ति गौरी इंटरप्राइजेज द्वारा की गई और प्रधानाध्यापक के साइन के आधार पर एजेंसी को भुगतान भी कर दिया गया। इसके बाद, एक और एजेंसी, लता इंटरप्राइजेज, ने प्रधानाध्यापक के फर्जी साइन का उपयोग कर विभाग को एक और बिल सौंपा और उसी आपूर्ति के लिए 5 लाख 83 हजार 830 रुपये का भुगतान प्राप्त कर लिया।

      इस संदर्भ में जिला निगरानी समिति सह धावा दल द्वारा जांच की गई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि लता इंटरप्राइजेज ने फर्जी बिल के माध्यम से भुगतान प्राप्त किया और इसमें विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की भी पुष्टि हुई। जांच के बाद तत्कालीन डीपीओ सुजीत कुमार राउत और लिपिक अनुज कुमार पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है, और लता इंटरप्राइजेज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

      इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि विभाग द्वारा दूसरी बार बेंच-डेस्क के लिए भुगतान के बावजूद कोई प्रमाण या चालान कोषागार में जमा नहीं किया गया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक धर्मवीर प्रसाद ने यह जानकारी दी कि 19 मार्च 2024 को गौरी इंटरप्राइजेज ने 117 बेंच-डेस्क की आपूर्ति की थी, और इसके लिए भुगतान की स्वीकृति भी दी गई थी।

      जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि विभाग के अधिकारियों ने बेंच-डेस्क की आपूर्ति को लेकर 35 प्रतिशत कमीशन की मांग की थी, जो कि इस घोटाले की जड़ में एक बड़ा कारण था। इसके बाद जब अनियमितताओं की पुष्टि हुई, तब डीपीओ पर विभागीय कार्रवाई की गई और लता इंटरप्राइजेज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए।

      इस पूरे प्रकरण ने नालंदा जिले में शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया है, जहां एक ही आपूर्ति के लिए दो बार भुगतान कर अधिकारियों ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया। आगे की जांच से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बड़े अधिकारी भी इस घोटाले की चपेट में आ सकते हैं।

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