खोज-खबरनालंदाबिग ब्रेकिंगबिहार शरीफशिक्षा

बीपीएससी 69वीं परीक्षा: हिंदी माध्यम से सरकारी स्कूल में पढ़कर टॉप10 में छाए अभ्यर्थी

नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 69वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम जारी हुआ और इस बार हिंदी माध्यम का जलवा छाया रहा। पिछले 10 वर्षों में पहली बार शीर्ष 10 में शामिल सभी उम्मीदवारों ने हिंदी माध्यम से परीक्षा दी और अपनी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूलों में की। इस उपलब्धि ने एक बार फिर साबित किया है कि सफलता केवल अंग्रेजी माध्यम तक सीमित नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ हिंदी माध्यम से भी ऊँचाइयों को छुआ जा सकता है।

इस बार के परिणामों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि सभी शीर्ष 10 उम्मीदवारों ने हिंदी माध्यम से न सिर्फ अपनी परीक्षा दी बल्कि उनका साक्षात्कार भी हिंदी में हुआ। शीर्ष तीन स्थानों पर रहने वाले उम्मीदवार बीटेक जैसे तकनीकी कोर्स से हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मुख्य परीक्षा हिंदी में दी और सफलता पाई। छठी वरीयता प्राप्त क्रांति की शिक्षा का अधिकांश भाग हिंदी माध्यम से ही हुआ। उन्होंने कहा कि हिंदी में उनकी पकड़ हमेशा मजबूत रही है और इसका उन्हें फायदा मिला।

चौथे स्थान पर रहे पवन कुमार का कहना है, “मैंने हमेशा से हिंदी को बेहतर समझा और लिखा है। जब मुख्य परीक्षा हिंदी में दी तो मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। साक्षात्कार भी हिंदी में ही दिया और सबसे अच्छी बात यह रही कि वहां भाषा को लेकर कोई बंधन नहीं था, इसलिए आत्मविश्वास बना रहा।”

69वीं परीक्षा के टॉप-10 में पांच अभ्यर्थी ऐसे भी हैं, जिन्होंने नौकरी के साथ-साथ अपनी तैयारी जारी रखी। पहले स्थान पर रहे उज्ज्वल कुमार वैशाली जिले के प्रखंड कल्याण पदाधिकारी के रूप में कार्यरत थे, जबकि तीसरे स्थान पर रहे शिवम तिवारी समाज कल्याण विभाग में कार्यरत थे।

पांचवे स्थान के विनीत आनंद रेलवे में तकनीशियन की नौकरी कर रहे थे और आठवे स्थान के राजन भारती पुलिस की ट्रेनिंग में थे। इन सभी ने नौकरी के साथ-साथ रोज़ाना चार-पांच घंटे पढ़ाई की और अंततः सफलता प्राप्त की।

टॉप 10 में रहे सभी उम्मीदवारों ने यह साबित किया कि भाषा कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बनती और सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले छात्र भी किसी से कम नहीं होते। 10वीं रैंक के नीरज कुमार ने कहा, “भाषा को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। लिखित परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक हिंदी में मुझे कोई परेशानी नहीं हुई।”

इस परीक्षा ने एक बार फिर साबित किया कि मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। चाहे भाषा की हो या संसाधनों की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!
10 most beautiful actresses in the world : विश्व की 10 सबसे सुंदर अभिनेत्रियां 15 world famous ancient universities of India Artificial Intelligence is the changing face of the future Bihar Sharif covered with red flags regarding Deepnagar garbage dumping yard in nalanda