चंडी (नालंदा दर्पण)। नगरनौसा और चंडी प्रखंड-थाना क्षेत्र में इन दिनों तेल माफिया गिरोह सक्रिय है। उनकी मिलीभगत से प्रखंड के एनएच पर काला तेल का गोरखधंधा फल फूल रहा है। बिल्कुल शराब की तरह।
यहाँ जिस तरह चौक-चौराहों पर शराब बेची जाती है। ठीक वैसे ही आज कल चंडी के धर्मपुर, तीना, नरसंढा आदि समेत नगरनौसा प्रखंड के कई जगहो पर अवैध तरीके से डीजल और पेट्रोल बजाप्ता सड़क पर रखकर बेची जा रही है।
धर्मपुर और तीना में घरों के बाहर सड़क किनारे प्लास्टिक की कट्टियों में, जर्किंग में लाल, नीला रंग में पेट्रोल और डीजल बिकता दिख जाएगा।
सबसे बड़ी बात यह है कि आखिर ये दुकानदार निर्धारित मूल्य से दस रूपये कम कीमत पर तेल बेच रहे है। जिसका नुकसान पेट्रोल पंप मालिकों, राज्य सरकार और तेल कंपनियों को हो रहा है।
इन दुकानदारों में किसी तरह प्रशासनिक खौफ नजर नही आता है। हैरानी है कि यह सब गोरखधंधा राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुलिस-प्रशान की जानकारी और उनकी गश्ती में चल रहा है।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि चंडी प्रखंड में सैकड़ो लीटर डीजल बजाप्ता टैंकर के माध्यम से बेचा जा रहा है। जिसमें बायो डीजल के नाम पर गोरखधंधा करने वाले गिरोह शामिल है। जो इन्हें तेल आपूर्ति करते हैं।
चंडी प्रखंड के विभिन्न तेल कंपनियो के संचालकों ने कहा कि क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ो लीटर तेल अवैध तरीके से बाहर से लाकर बेचा जा रहा है। वो भी निर्धारित मूल्य से दस रूपये कम पर। ऐसे में तेल कंपनियो को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बताया जाता है कि वैध पेट्रोल पंप के अलावा कहीं भी बिना लाइसेंस के खुले में अथवा घर पर तय सीमा से अधिक स्टाक रखना गैर कानूनी है। पकड़े जाने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम की कार्रवाई का प्रावधान है।
इसके बाद भी यह कारोबार खुलेआम हो रहा है। पुलिस-प्रशासन को खबर है। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
चूंकि रोज पुलिस प्रशासन और प्रखंड के पदाधिकारी इसी रास्ते से गुजरते हैं फिर भी उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई रहती है। जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा,तब इनकी तंद्रा भंग होगी। कहा जाता है कि पुलिस गश्ती दल इनसे हफ्ता वसुलती है।
ऐसे होती है पेट्रोल-डीजल में मिलावट: बताया जाता है कि बाजारो में खुलेआम बिक रहा पेट्रोल -डीजल में मिलावट होती है। जो वाहनो को नुकसान पहुंचा रहा है।
पेट्रोल में साल्वेट की मिलावट होती है,जो करीब तीस रूपये प्रति लीटर की दर से मिल जाता है। इसकी कीमत पेट्रोल के मुकाबले तीन गुनी से भी कम है। दस लीटर पेट्रोल में करीब पांच लीटर साल्वेट मिला देने पर भी पता नही चलता है कि मिलावट हुई है या नही।
साल्वेट ज्वलनशील पदार्थ होता है। जिससे वाहन चलाने पर माइलेज भी कम देता है। वहीं केरोसीन में नाइट्रोस्लेटी नामक रसायन मिलाया जाता है, जिससे केरोसीन डीजल जैसा दिखने लगता है।
उसके बाद नेफ्था को केरोसीन में डाला जाता है,जो केरोसीन की गंध व उसके तापमान को कम करने का काम करता है। दोनों प्रक्रिया पूरी होने के बाद केरोसीन डीजल जैसे दिखने लगता है और इसकी गंध भी डीजल जैसी हो जाती है। जिसकी जांच सिर्फ तकनीकी लैब में ही की जा सकती है।
चंडी के एक बाइक मिस्त्री ने बताया कि मिलावटी पेट्रोल से कार-बाइक को नुकसान पहुंचता है। ज्यादा मिलावटी पेट्रोल चलाने से वाहन को नुकसान होता है। इंजन पर प्रभाव पड़ता है। जिसे ठीक कराने में 15 से लेकर तीस हजार रूपये तक लग जाता है। वाहन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए पेट्रोल-डीजल जांच परखकर विश्वस्त पेट्रोल पंप से लेना चाहिए।
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