राजगीर (नालंदा दर्पण)। ऐतिहासिक नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय ने एक बड़ा शैक्षणिक और प्रशासनिक कदम उठाते हुए पूरी तरह पेपरलेस होने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही अगले शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालय में पालि के अलावा अन्य सभी विषयों में भी स्नातक स्तर की पढ़ाई शुरू की जाएगी। यह निर्णय विश्वविद्यालय के वैश्विक स्तर पर विस्तार और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से लिया गया है।
अब तक इस विश्वविद्यालय में केवल पालि विषय में स्नातक की पढ़ाई होती थी। लेकिन आगामी सत्र से सभी विषयों के लिए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस नई पहल के लिए सभी आवश्यक प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली हैं। वर्तमान में यहां 700 भारतीय और विदेशी छात्र अध्ययनरत हैं। लेकिन विश्वविद्यालय ने अगले कुछ वर्षों में इस संख्या को 3000 तक ले जाने का लक्ष्य रखा है।
शैक्षणिक गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए आगामी सत्र से नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) को लागू किया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को बहुविषयक शिक्षा का लाभ मिलेगा और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के अनुरूप उनके कौशल का विकास होगा।
विश्वविद्यालय ने योग्य विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए एक नई पहल की है। इसके तहत भारतीय संस्कृति संबंध परिषद (ICCR) के माध्यम से विदेशी छात्रों का नामांकन लिया जाएगा। नामांकन की प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए ICCR के A2A पोर्टल से विश्वविद्यालय को जोड़ा जा रहा है। यह सुविधा देश के अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पहले से उपलब्ध है और अब नालंदा महाविहार भी इस सूची में शामिल हो गया है।
विश्वविद्यालय प्रशासनिक कार्यों को पूरी तरह पेपरलेस कर दिया गया है। अब सभी प्रकार के कार्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित होंगे। इसके तहत शिक्षकों और कर्मचारियों को छुट्टी लेने के लिए अब ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी। सभी शिक्षकों और कर्मियों को विश्वविद्यालय की ओर से ईमेल आईडी प्रदान की गई है, जिससे प्रशासनिक कार्य सुगमता से पूरे किए जा सकें।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदमः स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय परिसर को पॉलिथीन, प्लास्टिक, तंबाकू और गुटखा मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है। इन प्रतिबंधित सामग्रियों को परिसर में लाने पर सख्त दंडनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
वैश्विक पहचान के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतेः विश्वविद्यालय ने मलेशिया, वियतनाम, ताइवान, अमेरिका, जापान, स्वीडन जैसे देशों के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के साथ शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए समझौते किए हैं। इससे छात्रों और शोधकर्ताओं को वैश्विक स्तर पर अध्ययन और अनुसंधान के अवसर मिलेंगे।
वियतनाम मॉडल पर आधारित ऑडिटोरियम का निर्माणः नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय में वियतनाम मॉडल पर आधारित 400 सीटों वाला ऑडिटोरियम बनाया जाएगा। यह ऑडिटोरियम वियतनाम के प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान थीक मीन-चाउ के नाम पर होगा और इसका निर्माण वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय के वित्तीय सहयोग से किया जाएगा। इस प्रस्ताव को संस्कृति मंत्रालय से अनुमोदन के लिए विदेश मंत्रालय को भेजा गया है।
वैश्विक शिक्षा केंद्र बनने की ओर अग्रसर नालंदा महाविहारः इन सभी नई पहलों के साथ नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय अपनी ऐतिहासिक विरासत को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ते हुए एक वैश्विक शिक्षा केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि डिजिटल शिक्षा प्रणाली, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और पर्यावरण हितैषी नीतियों के साथ यह संस्थान आने वाले वर्षों में विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान स्थापित करेगा।
- बिहार विकास मॉडलः सांसद ने लिया गोद, मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा कर रही उद्धार
- DM को पड़ा महंगा गलत CCA लगाना, JDU नेता के घर पहुंचाना पड़ा 5 हजार जुर्माना
- विश्व कप महिला कबड्डी टूर्नामेंट टला, पहले होगा खेलो इंडिया गेम्स
- पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया EOU के लिए बना सिरदर्द
- PDS डीलरों की हड़ताल से गड़बड़ाई व्यवस्था, उपभोक्ताओं में उभरी भूखमरी