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    Sunday, February 16, 2025
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      अब स्कूलों में टीएलएम 2.0 मेला से रोचक होगी बच्चों की पढ़ाई

      शिक्षकों और छात्रों की बढ़ती भागीदारी ने टीएलएम 2.0 मेला कार्यक्रम को और खास बना दिया है। इस पहल से न केवल शिक्षा में सुधार हो रहा है, बल्कि यह राज्य के अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा बन रहा है…

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा को अधिक रोचक और प्रभावी बनाने के लिए स्कूल कॉम्प्लेक्स स्तरीय मेला टीएलएम 2.0 का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला 31 जनवरी तक चलेगा। जिसमें जिले के प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक अपने खुद के बनाए गए टीचिंग लर्निंग मटेरियल (टीएलएम) के साथ भाग ले रहे हैं।

      इस नवाचारी पहल का उद्देश्य है कि कम लागत में रचनात्मक सामग्री के जरिए कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को हिंदी, गणित, अंग्रेजी और पर्यावरण के विषयों को सरल और मजेदार तरीके से सिखाया जा सके।

      जिला शिक्षा विभाग की इस पहल से दो बड़े फायदे हैं। पहला गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य पूरा करना और दूसरा बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई का अनुभव देना। टीएलएम मटेरियल के माध्यम से शिक्षक नई-नई विधियां अपनाकर बच्चों को आकर्षित कर रहे हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई न केवल आसान हो रही है, बल्कि उनकी रुचि भी बढ़ रही है।

      दरअसल टीएलएम मेला एक ऐसा मंच है, जहां शिक्षक अपने द्वारा बनाए गए शिक्षण सामग्री को प्रदर्शित करते हैं। इन सामग्रियों में चार्ट, मॉडल, फ्लैश कार्ड, खेल और इंटरैक्टिव साधन शामिल हैं।  ये बच्चों को गहराई से विषय को समझने में मदद करते हैं। टीएलएम को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों से तैयार किया जाता है। जिससे यह सस्ता और प्रभावी होता है।

      इस मेले का आयोजन तीन चरणों में किया जा रहा है। प्रखंड स्तर पर यह मेला 1 से 22 फरवरी तक आयोजित होगा। जिला स्तर पर यह 24 फरवरी से 13 मार्च तक आयोजित होगा। राज्य स्तर पर यह 26 और 27 मार्च को आयोजित किया जाएगा।

      हर स्तर पर टीएलएम को परखने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है। जिसमें बीईओ, बीपीएम, डाइट के शिक्षक, सेवानिवृत्त शिक्षक और गैर-सरकारी संस्थाओं के सदस्य शामिल हैं।

      इस मेले के जरिए शिक्षकों को अपनी रचनात्मकता दिखाने और शिक्षा को रोचक बनाने के नए तरीके सीखने का मौका मिल रहा है। वहीं छात्रों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है, जिससे उनकी समझ और रचनात्मकता बढ़ रही है।

      जिला शिक्षा विभाग का कहना है कि इस पहल से शिक्षक-छात्रों के बीच संवाद बेहतर होगा और पढ़ाई का माहौल अधिक रचनात्मक बनेगा। कक्षा में इन सामग्रियों के नियमित उपयोग से बच्चों की सीखने की गति और समझने की क्षमता दोनों में सुधार होगा।

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