बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए शिक्षा विभाग निरंतर प्रयासरत हैं। इसी दिशा में शिक्षा विभाग ने पूर्व में यू-डाइस (Unified District Information System for Education) पोर्टल का निर्माण किया था और अब ई-शिक्षा कोष पोर्टल की शुरुआत की गई हैं।
इन दोनों पोर्टलों पर सरकारी स्कूलों की संपूर्ण जानकारी डिजिटल रूप से उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर और शैक्षणिक गुणवत्ता का एक केंद्रीकृत रिकॉर्ड बन सके।
सभी प्रधानाध्यापकों को सख्त आदेशः जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (सर्व शिक्षा अभियान) कविता कुमारी ने जिले के सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि स्कूलों में उपलब्ध सभी प्रकार के संसाधनों और सुविधाओं की जानकारी इन दोनों पोर्टलों पर अपलोड की जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूलों की संपूर्ण जानकारी—चाहे वह इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित हो या शैक्षणिक सामग्री और स्टाफ से संबंधित हो—इन दोनों पोर्टलों पर अपलोड की जानी हैं।
पोर्टल पर अपलोड की जाने वाली जानकारीः यू-डाइस और ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड की जाने वाली जानकारियों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं-
- इंफ्रास्ट्रक्चर: विद्यालय में कितने कक्ष हैं, चहारदीवारी की स्थिति, पेयजल सुविधा, शौचालय की कार्यशीलता, विद्युत व्यवस्था, किचेन, खेल का मैदान, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, रैंप, किचन गार्डन, डस्टबिन और फर्नीचर की उपलब्धता।
- शैक्षणिक संसाधन: टेक्स्टबुक, टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल), नालंदा लाइब्रेरी, समाचार पत्र, प्रयोगशाला, आईसीटी (Information and Communication Technology) लैब आदि।
- स्टाफिंग: विद्यालय में कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों की जानकारी।
डिजिटल प्रबंधन की नई पहलः इस डिजिटल प्रयास का उद्देश्य हैं कि शिक्षा व्यवस्था अधिक पारदर्शी और प्रबंधनीय हो सके। एक क्लिक के साथ ही किसी भी विद्यालय की संपूर्ण जानकारी संबंधित अधिकारियों को प्राप्त हो सकेगी। इससे न केवल संसाधनों की उपलब्धता और कमी की पहचान की जा सकेगी, बल्कि शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक कदम भी तुरंत उठाए जा सकेंगे।
बेहतर निगरानी से होगा सुधारः शिक्षा विभाग का मानना हैं कि इस डिजिटल व्यवस्था से सरकारी स्कूलों की स्थिति पर करीबी नज़र रखी जा सकेगी और स्कूलों में किसी भी प्रकार की कमी को तुरंत दूर किया जा सकेगा। इसके अलावा स्कूलों में बेहतर संसाधन और शैक्षणिक माहौल बनाने की दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी पहलः इस नई व्यवस्था से शिक्षण कार्य में गुणवत्ता और पारदर्शिता लाने की उम्मीद की जा रही हैं। सभी प्रधानाध्यापकों को समयबद्ध तरीके से यह कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया हैं। ताकि शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही स्कूलों की समीक्षा की जा सके और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।
वेशक इस डिजिटल पहल से सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के साथ ही राज्य की शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में यह एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती हैं।
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