“कल बुधवार को आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त हो जाएगी। ऐसे में यदि बाकी के स्कूल समय रहते आवेदन नहीं करते तो उन्हें पीएम श्री स्कूल का दर्जा नहीं मिल सकेगा और यह योजना नालंदा जिले में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रह सकती है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम श्री स्कूल योजना का उद्देश्य सरकारी स्कूलों की शिक्षा के स्तर को सुधारने और उनमें बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। इस योजना के तहत चयनित सरकारी स्कूलों को विशेष दर्जा दिया जाता है और उन्हें शैक्षिक संसाधन, बुनियादी ढांचे और अन्य आवश्यक सुविधाओं में सुधार के लिए विशेष फंड भी दिया जाता है।
इस योजना के तहत नालंदा के 371 सरकारी स्कूलों को पीएम श्री स्कूल का दर्जा प्राप्त करने के लिए बेंचमार्क स्कूलों के रूप में चुना गया है। हालांकि योजना के तहत इन स्कूलों को आवेदन करने की प्रक्रिया में कई अड़चनें आ रही हैं। अब तक 169 स्कूलों ने आवेदन किया है। जबकि बाकी 202 स्कूलों ने आवेदन नहीं किया है। यह स्थिति तब है जब आवेदन की अंतिम तिथि को तीन बार बढ़ाया जा चुका है।
नालंदा जिला शिक्षा अधिकारी राज कुमार ने भी इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि पीएम श्री स्कूल योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी गुणवत्ता वाली शिक्षा और सुविधाएं उपलब्ध कराना है। उन्होंने बताया कि 3 दिनों की समय सीमा बढ़ाने के बाद भी केवल 38 स्कूलों ने आवेदन किया है। यह स्थिति शिक्षा विभाग की कई कोशिशों के बावजूद उत्पन्न हो रही है।
बता दें कि ‘पीएम श्री’ दर्जा प्राप्त करने वाले स्कूलों को विभिन्न प्रकार की शैक्षिक और बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिलेगा। स्कूलों के नाम के आगे ‘पीएम श्री’ शब्द जुड़ जाएगा, जो उनके विशेष दर्जे को दर्शाएगा। इन स्कूलों में विशेष सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
पुस्तकालयों में प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पत्र-पत्रिकाएं, हिन्दी और अंग्रेजी के दैनिक समाचार पत्र नियमित रूप से उपलब्ध होंगे। छात्रों को पाठ्य सामग्री और खेल उपकरण दिए जाएंगे। कंप्यूटर लैब, साइंस लैब और गणित लैब में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए विशेष फंड मिलेगा। जिससे विद्यालय की शारीरिक संरचना और अन्य आवश्यक सुविधाओं को बेहतर बनाया जा सकेगा।
क्योंकि पीएम श्री स्कूल योजना का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार के न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के तहत सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इसके जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिलें। इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों को मूलभूत सुविधाओं से लेकर आधुनिक शैक्षिक उपकरणों तक सभी संसाधन दिए जाएंगे।
प्रायः देखा जा रहा है कि विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद स्कूलों में आवेदन प्रक्रिया में धीमी गति बनी हुई है। इस पर कई कारण बताए जा रहे हैं। जिनमें अवधि की कमी, जानकारी का अभाव और अधिकारियों की लापरवाही प्रमुख हैं। यह योजना जिले के विकास में अहम भूमिका निभा सकती है। लेकिन यदि आवेदन प्रक्रिया इसी प्रकार धीमी रही, तो इसका सही लाभ जिले के बच्चों को नहीं मिल पाएगा।
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